करवा चौथ पर हो रहा दुर्लभ (शिव) योग का निर्माण
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। (देहरादून)। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 01 नवंबर को है। सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत खास माना जाता है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं दिन भर कठिन उपवास रखती हैं और चांद के निकलने तक पानी की एक बूंद भी नहीं पीती हैं। दिनभर व्रत रहने के बाद रात में चंद्रमा देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर ही सुहागिनें इस व्रत का पारण करती हैं। इस व्रत को पति के दीर्घायु और दांपत्य जीवन में खुशहाली प्रदान करने वाला माना गया है, इसलिए शादीशुदा महिलाओं के द्वारा ही इस व्रत को रखने का विधान है। लेकिन कई जगहों पर कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की सुहागिनों का सबसे खास पर्व करवा चौथ हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। विवाहित महिलाओं को करवा चौथ व्रत का बेसब्री से इंतजार रहता है। करवा चौथ के दिन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्याेदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों पानी पीकर ही महिलाएं ये व्रत खोलती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की 31 अक्टूबर 2023 को रात 9.30 मिनट पर शुरू होगी। चतुर्थी तिथि की समाप्ति 1 नवंबर 2023 को रात 9.19 मिनट पर होगी। करवा चौथ व्रत उदयातिथि से मान्य होता है इसलिए इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर, बुधवार को रखा जाएगा। करवा चौथ पर दुर्लभ श्शिवश् योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में माता करवा की पूजा करने से व्रती को महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा। उनकी कृपा से व्रती की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होंगी। करवा चौथ पर अत्यंत लाभकारी शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग का निर्माण दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रहा है, जो अगले दिन 2 नवंबर तक है। इस योग में करवा माता की पूजा-अर्चना करने से व्रती को कभी न नाश होने वाले फल की प्राप्ति होगी। इस समय में शुभ कार्य कर सकते हैं।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 1 नवंबर को 09 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 1 नवंबर को करवा चौथ मनाया जाएगा। चंद्रोदय का समय संध्याकाल में 08 बजकर 26 मिनट पर है।
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्याेदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को स्त्रियां दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार कर तैयार होती हैं और पूजा करती है। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव के लिए, द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। करवा चौथ व्रत के प्रताप से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है। करवा माता उनके सुहाग की सदा रक्षा करती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
करवा चौथ मुहूर्त –
करवा चौथ के दिन स्त्रियां शाम को चौथ माता, करवा माता और गणपति की पूजा करती है और चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06.36 – रात 08.26
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 05.44 – रात 07.02 (1 नवंबर 2023)
चांद निकलने का समय – रात 08.26 (1 नवंबर 2023)
सूर्याेदय और सूर्यास्त का समय
सूर्याेदय – सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 36 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 08 बजकर 15 मिनट पर
चन्द्रास्त- ,सुबह 10 बजकर 05 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 01 बजकर 27 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक
दिशा शूल – उत्तर
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