उत्तराखंड पंचायत चुनाव का बिगुल बजने को तैयार! 47 लाख वोटर चुनेंगे नया नेतृत्व, चुनाव इस माह तक कराने की तैयारी

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समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की गतिविधियाँ अब अंतिम चरण में हैं। राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने मिलकर 15 जुलाई 2025 तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की कमर कस ली है। हरिद्वार को छोड़कर राज्य के बाकी 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है, जिनमें फिलहाल प्रशासक कार्यभार संभाले हुए हैं।

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अब मई के अंत तक ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इस बीच सरकार ने कार्यकाल को 6 महीने बढ़ाने का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

आरक्षण अध्यादेश को मिल चुकी है मंजूरी, जून में अधिसूचना संभावित
हाल ही में राज्यपाल ने ष्उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025ष् और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब सरकार आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रही है, जिसके बाद जून में चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है।

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12 जिलों में 47 लाख से ज्यादा मतदाता तैयार
राज्य के 12 जिलों में कुल 47,57,210 मतदाता पंचायत चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सबसे ज्यादा वोटर उधम सिंह नगर (7.43 लाख) और टिहरी गढ़वाल (6.05 लाख) में हैं।

इतने पदों पर होंगे चुनाव
ग्राम पंचायत सदस्य- 55,589
ग्राम प्रधान- 7,499
उप प्रधान – 7,499
क्षेत्र पंचायत सदस्य- 2,974
जिला पंचायत सदस्य – 358
जिला पंचायत अध्यक्ष – 12
क्षेत्र पंचायत प्रमुख/उप प्रमुख – 267 (तीन पद – 89 क्षेत्र पंचायतें)
उप जिला पंचायत अध्यक्ष -12

चुनाव आयोग तैयार, इंतजार सिर्फ आरक्षण सूची का
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने बताया कि चुनाव की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। मतदाता सूची अपडेट, बैलट बॉक्स, पोलिंग किट, और पोलिंग पार्टियों की तैयारी पूरी हो चुकी है। आरक्षण सूची मिलते ही 40 दिन में चुनाव प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।

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जून-जुलाई चुनाव के लिए ‘बेस्ट टाइम’
सरकार की कोशिश है कि चुनाव 15 जुलाई से पहले निपटा लिए जाएं, क्योंकि इस दौरानरू
शिक्षक स्टाफ की उपलब्धता अधिक होती है
चारधाम यात्रा का असर सीमित होता है
प्राकृतिक आपदाओं का खतरा कम रहता है

फैसले की घड़ी करीब, लोकतंत्र के पर्व की तैयारी ज़ोरों पर
अब राज्य की नजरें आरक्षण सूची और चुनावी अधिसूचना पर टिकी हैं। पंचायत चुनाव न सिर्फ ग्राम स्तर के विकास की दिशा तय करेंगे, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी नया आकार देंगे।

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