समाचार सच, हल्द्वानी डेस्क। हल्द्वानी में नगर निगम सीमा विस्तार की गड़बड़ी का खामियाजा 66 वर्षीय कन्हैया लाल जैसे बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है। पहचान संबंधी दस्तावेज न होने के कारण उनकी वृद्धावस्था पेंशन का आवेदन पिछले एक साल से लंबित है। सालों से हल्द्वानी में रहने के बावजूद उन्हें स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र तक नहीं मिल पा रहा है।
कन्हैया लाल का परिवार वर्ष 1955 से गौजाजाली बिचली क्षेत्र में निवास कर रहा है, लेकिन नगर निगम सीमा विस्तार के बाद यह क्षेत्र न ग्राम पंचायत के अंतर्गत रहा और न ही नगर निगम की रिकॉर्ड सूची में आ पाया। इस सरकारी अनदेखी ने इन परिवारों को मानो “कागज़ों में बिन पता” बना दिया है।
शुक्रवार को नगर निगम परिसर में बोर्ड बैठक के दौरान, कन्हैया लाल मुख्य गेट के बाहर फर्श पर बैठे दिखाई दिए। चेहरे पर चिंता की लकीरें और एक ही आसकृकिसी तरह मेयर या अधिकारी से मुलाकात हो जाए। हाथ में एक आवेदनपत्र लिए वह बताते हैं कि न पार्षद हस्ताक्षर करने को तैयार हैं, न अधिकारी। मजदूरी कर जीवन गुज़ारने वाले कन्हैया अब उम्र के इस पड़ाव में काम करने में भी असमर्थ हैं और पेंशन ही उनकी जीवनरेखा है। सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी का कहना है कि बुजुर्ग की समस्या पर तहसील स्तर पर सत्यापन कर समाधान की कोशिश की जाएगी।
नगर निगम सीमा विस्तार के बाद गौजाजाली बिचली क्षेत्र का एक हिस्सा निगम में शामिल नहीं हो पाया। यही वह क्षेत्र है जहाँ कन्हैया सहित आठ-दस दलित परिवार रहते हैं। परिणामस्वरूप न इन्हें ग्रामीण माना जाता है, न शहरीकृलेकिन सरकारी रिकॉर्ड की इस बीच की खाई में इनका जीवन फँस कर रह गया है।
समाज कल्याण विभाग के नियमों के अनुसार स्थानीय पार्षद या ग्राम प्रधान का संस्तुति पत्र आवश्यक है, जो आवेदक के स्थानीय निवास की पुष्टि करता है। लेकिन इस क्षेत्र की अस्पष्ट स्थिति के कारण यह दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और इसी वजह से कन्हैया लाल की पेंशन प्रक्रिया रुकी हुई है।

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