एक्यूप्रेशर से साइटिका में राहत

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समाचार सच. स्वास्थ्य डेस्क। साइटिका रोग से परेशान हैं तो शरीर के कुछ बिन्दुओं पर प्रेशर देकर इस रोग से राहत पाई जा सकती है।
साइटिका वात् नाड़ी स्पाइनल कोर्ड से निकल कर नितम्ब व टांग से गुजरकर नीचे पांव में पहुंचती है। इस भाग में इस नाड़ी से संबंधित असहनीय दर्द उठता है, उसे सियाटिक कहते हैं। बोलचाल में इसे साइटिका भी कहते हैं। सियाटिक मानव शरीर की सबसे लम्बी व चौड़ी वात् नाड़ी है।
साइटिका रोग के कारण

  • रीढ़ की हड्डी के लम्बर भाग में किसी प्रकार कि विकृति आना, लम्बर का खिसक कर सैक्रम भाग पर आ जाना, गठिया रोग या रीढ़ की हड्डी के पास कोई बड़ा फोड़ा हो जाना। रीढ़ की हड्डी के लम्बर भाग में कोई सूजन, नितम्ब की हड्डी में सूजन, मूत्राशय, गर्भाशय या डिम्ब ग्रन्थों का बढ़ जाना। पुराना कब्ज भी इस रोग का मुख्य कारण है।
    -मधुमेह रोग तथा विटामिन की कमी भी साइटिका के प्रमुख कारण हैं।
    -इस सब कारणों के अलावा यदि किसी व्यक्ति के बाजू या जांघ में चोट लग जाए तो उसी समय दर्द शुरू हो जाता है या कुछ समय पश्चात शियाटिक नस में दर्द शुरू हो जाता है।
    -यदि शरीर में गुर्दे सही प्रकार से काम नहीं कर रहे हैं और रक्त में से यूरिक एसिड अलग नहीं कर पाते, जिसके कारण यूरिक एसिड बढ़ जाता है व यूरिक एसिड बढ़ने से भी साइटिका बढ़ जाता है।
    साइटिका के लक्षण
    इस रोग में रेागी को असहनीय दर्द होता है। यह दर्द पीठ के निचले भाग से शुरू होकर नितम्ब व टांग से गुजरता हुआ पांव तक पहुंचता है। दर्द अधिकतर एक टांग में और वह भी प्रायः टांग के बाहरी तरफ होता है। यह दर्द व्यक्ति को उठने, बैठने, चलने, सीढ़ियां चढ़ने उतरने में कष्टकर होता है।
    इस रोग में कई रोगियों को लेटने में आराम मिलता है पर कई रोगियों को लेटने पर भी आराम नहीं मिलता। खांसने, छींकने व लम्बा सांस लेने से रोग बढ़ जाता है। सुबह के समय टांग भारी व सुन्न प्रीत होती है। ऐसे रोगियों के पेट में भारीपन रहता है। पेट तना रहता है।
    एक्यूप्रेशर से राहत –
    शियाटिका नस में सूजन आ जाना शियाटिक नस में झटका लगने या कोई चोट पहुंचने से भी साइटिका रोग से परेशान हैं तो शरीर में कुछ बिंदुओं पर प्रेशर देकर इस रोग से राहत पाई जा सकती है।
  1. यदि रीढ़ की हड्डी के लम्बर तथा सैक्रम हिस्से में अधिक विकृति न हो तो साइटिका रोग पर जल्द काबू पाया जा सकता है किन्तु बिल्जिंग डिस्क के रोगी जल्द ठीक नहीं होते उन्हें पूरा ठीक होने में लगभग 4 माह का समय लग जाता है।
  2. एड़ियों का मध्य भाग इस भाग को दबाने पर जिस जगह दर्द का अधिक एहसास हो तो हम अंदाजा लगा सकते हैं कि वह जगह ही इस रोग का प्रमुख केन्द्र है।
  3. पैरों की सारी उंगलियों विशेषकर अंगूठे के साथ वाली दो उंगलियों पर मालिश की तरह प्रेशर देने से तुरन्त आराम मिलता है।
  4. इस रोड का एक एक्यूप्रेशर बिन्दु टखने के नीचे होता है। यह केन्द्र संवेदनशील होता है, इसलिए रोगी की सहनशक्ति के अनुसार प्रेशर देना चाहिए।
  5. टांग के निचले भाग, हाथ व पैरों के ऊपर चौथे चैनल में प्रेशर देने से साइटिका में रोगी तुरन्त आराम मिलता है।
  6. हथेली के निचले भाग तथा हाथ के ऊपर अंगूठे व पहली उंगली के पास प्रेशर देना इस रोग में लाभकारी है।
  7. रोगी के पिछले भाग मे ंव पिण्डलियों पर उल्टे लिटाकर हाथ के अंगूठे से प्रेशर देने से भी जल्द लाभ प्राप्त होता है।
  8. रोगी को करवट के बल लिटाकर उसका हाथ टांग पर रखें। अंगूठे के बाद वाली उंगली टांग के ऊपरी भाग को जहां छुएगी उस भाग पर हाथ के अंगूठे से प्रेशर दें।

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