उत्तरकाशी में भूकंप के बाद अलर्ट मोड में आपदा विभाग, जल्द लॉन्च होगा भूदेव एप

खबर शेयर करें

समाचार सच, देहरादून। उत्तरकाशी जिले में जनवरी महीने में लगातार आए भूकंप के झटकों के बाद अब आपदा विभाग भी पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है। विभाग की ओर से अर्ली वार्निंग सिस्टम पर जोर दिया जा रहा है, ताकि भूकंप आने की जानकारी लोगों को पहले ही मिल सके और वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकें। इसी दिशा में आपदा विभाग ने श्भूदेवश् एप विकसित किया है। वर्तमान में यह एप सक्रिय नहीं है, लेकिन फरवरी के अंत तक इसे पूरी तरह सक्रिय कर दिया जाएगा। मार्च से इस एप को आम जनता तक पहुंचाने के लिए पहल की जाएगी।

उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से संवेदनशील
उत्तराखंड आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र में आता है। उत्तरकाशी में पिछले महीने कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। आमतौर पर एक महीने में तीन से चार छोटे भूकंप आते हैं, जो ज्यादा नुकसानदायक नहीं होते। हालांकि, लंबे समय से इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना बढ़ गई है। इसको देखते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक की गई, जिसमें भूकंप से बचाव के तमाम उपायों पर चर्चा की गई।

यह भी पढ़ें -   जिंदगी को तनाव से दूर रखना तो अपनाए ये टिप्स

भूदेव एप से मिलेगी भूकंप की पूर्व चेतावनी
आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बैठक में भूकंप से बचाव के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया। इस दौरान यह भी चर्चा की गई कि भूकंप संबंधी जानकारी के लिए और अधिक सेंसर लगाए जाएं और मौजूदा सायरन सिस्टम को बेहतर किया जाए। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने भूकंप के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है, जिसके तहत भूदेव एप तैयार किया गया है।

भूदेव एप की विशेषता यह होगी कि यह भूकंप आने से कुछ सेकंड पहले ही चेतावनी जारी कर देगा। यह एप यदि लोगों के मोबाइल में इंस्टॉल होगा, तो उन्हें भूकंप आने से पहले ही सूचना मिल जाएगी, जिससे वे समय रहते सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं।

कैसे काम करेगा भूदेव एप?
आपदा सचिव ने बताया कि भूकंप के दौरान दो तरह की तरंगें उत्पन्न होती हैंकृ प्राइमरी वेव और सेकेंडरी वेव। प्राइमरी वेव की गति 6-7 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है, जबकि सेकेंडरी वेव की गति 3-3.5 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। जब किसी स्थान पर भूकंप आता है, तो प्राइमरी वेव सबसे पहले सेंसर तक पहुंचती है। जैसे ही सेंसर इस वेव को पकड़ता है, तुरंत एप के जरिए लोगों को अलर्ट भेज दिया जाता है। इस प्रक्रिया से लोगों को भूकंप की सेकेंडरी वेव पहुंचने से पहले 10-15 सेकंड का समय मिल जाता है, जिससे वे सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकते हैं।

यह भी पढ़ें -   उत्तराखंड में नवनिर्वाचित निकाय पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम की तिथि तय...

मार्च से बड़े स्तर पर किया जाएगा प्रचार
आपदा विभाग इस एप को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए लगातार काम कर रहा है। फिलहाल एप में कुछ तकनीकी समस्याएं हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है। मार्च के पहले हफ्ते से श्भूदेवश् एप का बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे डाउनलोड कर सकें और भूकंप की स्थिति में सुरक्षित रह सकें।

Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440