ऐपण और काष्ठ कला को मिलना चाहिए प्रोत्साहन: हरीश रावत

खबर शेयर करें

समाचार सच, देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने आज अपने फेसबुक एकाउंट के माध्यम से कहा की ऐपण और काष्ठ कला, दोनों खोई तो नहीं मगर उनको दिया जाने वाला प्रोत्साहन शायद कहीं खो गया है। मैं तो चाहूंगा कि गंगा दशहरा भी काष्ठ में राज्य के शुभंकर के रूप में उभारकर या ऐपण की कलाकृति जरूर लगाई जानी चाहिये। आने वाली सरकार को इस प्रसंग पर विचार कर इस सोच को अपनी पहचान के रूप में आगे बढ़ाना चाहिये। मैं इस तथ्य को जानता हूं कि बिना शिल्प को प्रोत्साहित किये हम आजीविका संवर्धन के क्षेत्र में खुट-खुट तो हो सकते हैं, मगर प्रभावी नहीं हो सकते हैं। यदि प्रभावी होना है तो अपनी पुरानी काष्ठ शैली, पत्थर शैली, भवन शैली को फिर से आगे लाना पड़ेगा और सरकारी भवन जिसमें एक निश्चित एरिया से ज्यादा भवन निर्माण हो रहा है तो वहां पर्वतीय उत्तराखंडी भवन शैली जिसमें रंवाई भवन शैली भी सम्मिलित है, उसका अंश जरूर दिखाई देना चाहिये और उसके लिए एक नई पौंध इस तरीके के काम करने वालों को तैयार करने की जरूरत है, अभी पुराने हाथ हमारे बीच में हैं जो अपने कुटुंबीजनों को प्रशिक्षण देकर उनको तैयार कर सकते हैं और इसीलिए हमने गरूड़ाबाज में मुंशी हरिप्रसाद जी के नाम पर उत्तराखंडी परंपरागत भवन शैली व काष्ठ शैली आदि के उन्नयन के लिए एक संस्थान को प्रारंभ किया है। खैर 5 साल विस्मृत रहे संस्थान को कांग्रेस की सरकार को आगे बढ़ाना चाहिये।

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440