समाचार सच, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड। उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को न्याय आखिरकार मिल गया। 30 मई 2025 को कोटद्वार की एडीजे कोर्ट ने उस बहुचर्चित हत्याकांड में मुख्य आरोपी पुलकित आर्या और उसके दो सहयोगियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी ठहराते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुना दी।


986 दिन के लंबे संघर्ष के बाद आया यह फैसला पूरे देश में न्याय की उम्मीद बनकर सामने आया है। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर जुर्माना भी लगाया और पीड़ित परिवार को 4 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला?
सितंबर 2022 में 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। वह यमकेश्वर स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थी। आरोप था कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्या – पूर्व राज्य मंत्री का बेटा कृ और उसके सहयोगी अंकिता पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का दबाव बना रहे थे। जब अंकिता ने विरोध किया, तो 18 सितंबर को उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई और शव को ऋषिकेश की चीला नहर में फेंक दिया गया।
कोर्ट का फैसला और सजा का विवरणः
जज रीना नेगी की कोर्ट ने दोषियों को निम्न सजा सुनाईः
पुलकित आर्याः
धारा 302ः कठोर आजीवन कारावास 50,000 जुर्माना
धारा 201ः 5 वर्ष कारावास 10,000
धारा 354: 2 वर्ष कारावास 10,000
ITPA Act 5 वर्ष कारावास 2,000
कुल जुर्मानाः 72,000
सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ताः
धारा 302ः कठोर आजीवन कारावास 50,000
धारा 201ः 5 वर्ष कारावास 10,000
ITPA Act: 5 वर्ष कारावास 2,000
कुल जुर्मानाः 62,000 प्रति अभियुक्त
तीनों की सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
जांच और न्याय तक की लंबी लड़ाईः
24 घंटे के भीतर तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी
डीआईजी रेणुका देवी के नेतृत्व में बनी एसआईटी
500 पन्नों की चार्जशीट, 97 गवाह, 47 मुख्य गवाह कोर्ट में पेश
परिजनों की मांग पर 3 बार बदले गए सरकारी वकील
मजबूत पैरवी के चलते बार-बार जमानत अर्जी खारिज
परिवार और समाज की भावनाः
हालांकि अंकिता के माता-पिता दोषियों को फांसी की सजा चाहते थे, लेकिन कोर्ट के फैसले से समाज में यह स्पष्ट संदेश गया है कि उत्तराखंड की देवभूमि में अपराधी कितना भी ताकतवर क्यों न हो, कानून से नहीं बच सकता।
जनता की आवाज़, सरकार की प्रतिक्रियाः
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही दिन वादा किया था कि अंकिता को न्याय मिलेगा। सरकार ने पीड़ित परिवार को 25 लाख की आर्थिक मदद दी, सरकारी नौकरी की घोषणा की और मामले में तेजी लाई।
यह फैसला न सिर्फ अंकिता के लिए न्याय है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी भी – कि बेटियों के साथ अन्याय करने वालों की जगह अब सिर्फ जेल में होगी।





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