बिल्वपत्र चढ़ाने का जितना महत्व है उतना ही घर या मंदिर में बिल्व पत्र लगाना शुभ माना है

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As much as the importance of offering bilvapatra is, it is considered auspicious to put bilvapatra in the house or temple.

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। श्रावण मास या किसी भी शिव त्योहार पर शिवलिंग पर बेलपत्र, अर्पित किया जाता है। भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाने का जितना महत्व है, उतना ही महत्व बिल्वपत्र के वृक्ष का भी माना गया है। घर के आसपास या मंदिर में बेल का वृक्ष लगाने से क्या होगा?

घर के आसपास बिल्वपत्र लगाने के फायदे-

  • बिल्वपत्र के वृक्ष को श्रीवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसके घर के पास होने से धन-समृद्धि के योग बनते हैं।
  • जिस घर के पास एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।
  • कहते हैं कि जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगा होता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है।
  • बेलपत्र का पौधा होने से व्यक्ति के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और सभी सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
  • कर्ज से मुक्ति के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं बेल का पौधा।
  • जहां बेल पत्र लगा होता है वहां के घर पर किसी भी तंत्र बाधा का असर नहीं होता है।
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार बेल का पौधा नकारात्मक शक्तियों का नाश कर सकारात्मक शक्तियों का संचार करता है।
  • ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह घर के सदस्यों को चंद्र दोष से मुघ्क्त करता है। मान सम्मान में बढ़ोतरी करता है।
  • इस पौधे के घर में लगे होते से गृह कलह कलेश दूर होता है।
  • इसके घर के पास लगे होने से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
  • वातावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए बिघ्ल्वपत्र के वृक्ष का महत्व है।
  • घर के आसपास बिल्वपत्र का पेड़ होने पर वहां सांप या विषैले जीवजंतु भी नहीं आते।
  • बिल्व का वृक्ष निवास स्थान के उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है। उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और यदि यह वृक्ष निवास स्थान के मध्य में हो तो जीवन में मधुरता आती है।
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मंदिर में बिल्वपत्र लगाने के फायदे-

  • किसी भी मंदिर में बिल्वपत्र का पेड़ लगाने से देवता प्रसन्न होते हैं।
  • बिल्वपत्र का पेड़ लगाने से वंश में वृद्धि होती है।
  • भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करनी हो तो बिल्वपत्र का पेड़ लगाएं।
  • इस वृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  • बिल्वपत्र की जड़ का जल अपने माथे पर लगाने से समस्त तीर्थयात्राओं का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
  • चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और किसी माह की संक्राति को बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
  • जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
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