समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। पितृ पक्ष वह पवित्र पखवाड़ा है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं। वर्ष 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। माना जाता है कि इस समय पूर्वजों को जल, अन्न और प्रार्थना अर्पित करना सबसे प्रभावी होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब जन्म कुंडली में राहु और केतु अशुभ स्थान पर होते हैं, तो पितृ दोष बनता है। इससे जीवन में रुकावटें, पारिवारिक विवाद, आर्थिक समस्याएं और महत्वपूर्ण कामों में देरी होती है। शास्त्र कहते हैं कि पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने से राहु-केतु के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। इसलिए पितृ पक्ष को उपाय करने का सर्वाेत्तम समय माना जाता है।
आपको बड़े-बड़े आयोजन करने की आवश्यकता नहीं है। साधारण और सरल उपाय भी यदि श्रद्धा से किए जाएँ, तो राहत मिलती है। ये उपाय भारत में रहकर भी किए जा सकते हैं और विदेश में रहकर भी। आइए सात ऐसे सरल उपाय जानते हैं।
तिल के साथ जल अर्पण (तर्पण)
पितृ पक्ष की हर सुबह एक पात्र में स्वच्छ जल लें और उसमें कुछ काले तिल डालें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके धीरे-धीरे जल अर्पित करें और मंत्र बोलें, “ऊँ पितृभ्यो स्वधा”। यदि मंत्र कठिन लगे तो बस यह कहें, “मैं यह जल अपने पूर्वजों को अर्पित करता/करती हूँ।”
विदेश में रहने वाले लोग यह अपने बगीचे, बालकनी या एक पात्र में करके बाद में किसी पेड़ के नीचे डाल सकते हैं। काला तिल राहु-केतु को शांत करता है और पूर्वजों की कृपा दिलाता है।
सरल पिंड दान
चावल, तिल और घी से बने छोटे-छोटे तीन पिंड (गोलियां) बनाकर केले के पत्ते या थाली में रखें। पूर्वजों का नाम लेकर अर्पित करें। यदि नाम न पता हो तो “मेरे सभी पूर्वजों को” कहकर प्रार्थना करें। बाद में पिंड को बाहर रख दें ताकि पक्षी या चींटियां खा सकें। यह विधि पूर्वजों तक सीधा पहुंचती है और परिवार पर राहु-केतु का असर कम करती है।
गाय, कुत्ते और पक्षियों को भोजन कराना
पितृ पक्ष में प्रतिदिन गाय, कुत्ते, कौवे या किसी भी जीव को भोजन कराना शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि कौवे को भोजन कराना पूर्वजों को भोजन कराने के समान है।
यदि आसपास गाय न हों तो घर के पास के जानवर, पक्षी या चींटियों को भी अन्न दें। जीवों को अन्न खिलाना पूर्वजों तक भोजन पहुंचाने का माध्यम है और इससे राहु-केतु शांत होते हैं।
दान और जरूरतमंदों को भोजन
पितृ पक्ष में दान का बहुत महत्व है। अनाज, कपड़े, भोजन या धन अपनी क्षमता अनुसार दान करें। विदेश में रहने वाले लोग भी किसी जरूरतमंद को फल, रोटी या भोजन पैकेट दे सकते हैं। दान का भाव सबसे महत्वपूर्ण है। राहु-केतु अभाव और असंतुलन का प्रतीक हैं, और दान करने से संतुलन बनता है।
घी का दीपक जलाना
पितृ पक्ष की हर शाम घर के दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाकर प्रार्थना करें, “यह प्रकाश मेरे पूर्वजों तक पहुँचे और उन्हें शांति दे।”
दीपक के पास कुछ तिल भी अर्पित करें। दक्षिण दिशा यमराज और पितृ लोक से जुड़ी है। यहाँ दीपक जलाने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और राहु-केतु का प्रभाव कम होता है।
मंत्र जप
पितृ पक्ष में प्रतिदिन सरल मंत्र जप करें
पूर्वजों के लिए – “ऊँ पितृभ्यो नमः”
राहु के लिए – “ऊँ राम राहवे नमः”
केतु के लिए – “ऊँ कें केतवे नमः”
यदि लंबा जप न कर सकें तो हर मंत्र 11 बार सुबह या शाम दोहराएँ। मंत्र ध्वनि तरंगें हैं, जो राहु-केतु की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करती हैं।
सादगी और सात्विक आहार
पितृ पक्ष में सादा और सात्विक जीवन अपनाएं। मांस, मदिरा या भारी उत्सव से बचें। भोजन हल्का और सात्विक रखें जैसे चावल, दाल, रोटी, सब्ज़ी, फल और खीर। सरल जीवन से मन शांत रहता है और पूर्वजों की साधना-प्रार्थना का फल अधिक मिलता है।

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