-हाई स्कूल की परीक्षा के बाद पाँव में काटा एक सांप ने।
-दुबई में सुना एक गाना और बदल गई जिंदगी।
-“अल्मोड़ा में झटका दिगै” है नई एल्बम का पहला गाना।
समाचार सच, हल्द्वानी। आपने भी जीवन में कभी ना कभी बागेश्वर जिले में गरुड़ क्षेत्र के लोबांज की पहाड़ी गडेरी(लाल अरबी) का स्वाद जरूर चखा होगा। जितनी स्वादिष्ट लोबांज की गडेरी होती है उतना ही सुरीला गाना गाता है उसी मिट्टी से निकला हुआ ये गायक। सभी लोग प्यार से उन्हें “बसंत दा पहाड़ी” के नाम से जानते हैं। बसंत दा का प्रारंभिक जीवन लोबांज, गरुड़ में ही बीता। उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा दी ही थी कि उनके पाँव में एक सांप ने काट लिया और वे छः माह तक स्कूल नहीं जा पाए। बसंत दा ने बताया कि इतने लंबे समय तक इलाज़ के दौरान उनका मन भी थोड़ा विचलित हो गया। लेकिन वो कहते हैं ना कि “मन का हो तो अच्छा, ना हो तो ज्यादा अच्छा। क्योंकि फिर वो ईश्वर के मन का होता है, और ईश्वर आपका हमेशा अच्छा चाहेगा।।” बसंत दा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके दुबई वाले चाचा ने उन्हें भी दुबई बुला लिया। सन् 2005 से वे दुबई में ही नौकरी करने लगे। दुबई में जिंदगी ने एक बार फिर करवट ली। एक दिन बसंत दा ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक फौजी ललित मोहन जोशी का गाना “नैनीताल की मधुली” सुना। इस गाने को सुनकर वे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने सोचा कि अपनी संस्कृति को और आगे लेकर जाना चाहिए। तब से वे लगातार इसी कोशिश में लगे हुए हैं। उन्हें साल में जब भी मौका लगता है वे भारत जरूर आते हैं। गाने का शौक तो उन्हें बचपन से ही था। वे गाँव की होलियों में भी गाते थे। उन्होंने हाल ही में एक एल्बम भी रिकॉर्ड किया है जिसका पहला गाना “अल्मोड़ा में झटका दिगै” यूट्यूब पर आ चुका है।


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