बॉलीवुड एक्टर यादीप अब पहाड़ लौटकर सवारेंगे बच्चों का भविष्य…

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समाचार सच, हल्द्वानी (एक मुलाकात)। नेक्स्ट ऑफ किन, बैल बॉटम और जादूगर सरीखी सुपरहिट फिल्मों में काम करने के बाद मूल रूप से जालली के जोणियों गांव निवासी यादीप तिवारी (Bollywood actor Yadeep Tiwari) अब उत्तराखंड के गरीब व जरूरतमंद बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहाड़ वापस लौट रहे हैं।

यादीप ने हमारे संवाददाता से बातचीत के दौरान बताया कि वे पहाड़ के बच्चों को न केवल फिल्म मेकिंग के गुर सिखाएंगे बल्कि वह उन्हें मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी देंगे। जैसाकि पहाड़ के लगभग हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा व बेहतर सुविधाएं देने के लिए पहाड़ से पलायन करते हैं। ठीक उसी प्रकार यादीप के माता-पिता स्वर्गीय मनोहर दत्त और जानकी देवी ने भी 30 वर्ष पूर्व पहाड़ से पलायन कर पंजाब के पटियाला में रोजी-रोटी के लिए संघर्ष किया। यादीप ने भी बचपन से ही उनका हाथ बँटाया। वर्षों के संघार के बाद हरिवंश राय बच्चन की कॉलजयी पंक्तियां फिर से चरितार्थ हो गई कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

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बीएससी करने के बाद यादीप ने योगा में सर्टिफिकेट कोर्स भी पूर्ण किया। उन्हें बचपन से ही एक्सरसाइज करने का शौक था और पहाड़ के हर बच्चे की तरह वे भी भारतीय सेना में जाकर देशसेवा करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कोशिश भी की किन्तु सफल नहीं हो पाए पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद मार्केटिंग का काम भी किया साथ ही साथ उन्होंने पंजाबी थिएटर करना भी आरंभ कर दिया। इसका फायदा यह हुआ कि उन्हें मुंबई में स्टार प्लस के फेमस सीरियल में काम मिल गया और उसके बाद फिर उन्होंने कभी मुड़ के पीछे नहीं देखा। दुख के दिन बीत चुके थे और उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्मों में अक्षय कुमार, रणदीप हुड्डा, तृप्ति डिमरी और विजय वर्मा के साथ काम किया। यही नहीं उन्होंने हॉलीवुड की भी एक टीवी सीरीज नेक्स्ट ऑफ किन में कार्य किया है।

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उन्होंने संत सिपाही, परिंदे, बेल बॉटम, नेटफ्लिक्स पर जादूगर, कैट नामक वेब सीरीज, अफगानी स्नो और हॉटस्टार पर मुकेश जासूस सहित स्टार प्लस पर तमन्ना और अग्निफेरा शो में काम किया है। इस प्रक्रिया के दौरान उन्होंने फिल्म मेकिंग के गुर भी सीखें। अक्सर हमने सुना है कि ‘पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती’। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके पिताजी तो वापस उत्तराखंड आकर नहीं रह पाए लेकिन वे जरूर उत्तराखंड आकर रहेंगे और नीचे का बहाव ऊपर की तरफ लेकर आने की पूरी कोशिश करेंगे। वर्तमान में यादीप कल्ललारी और बीजेजे सीख रहे हैं। उन्हें इसके अलावा जूडो, कराटे, ताइक्वांडो, वुशु, बॉक्सिंग, किकबॉक्सिंग और वेपन चलाना भी आता है।

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