समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। चैत्र मास साल का आखिरी माह होता है। इसे मधुमास भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी। इस महीने में भगवान विष्णु के मछली स्वरूप की पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है कि मां दुर्गा ने पहली बार इसी माह में अपने नव दुर्गा रूप के दर्शन दिए थे।
चैत्र मास में नवरात्रि, रामनवमी, पापमोचिनी एकादशी और हनुमान जयंती जैसे बड़े व्रत-त्योहार आते हैं। चैत्र मास की शुरुआत 26 मार्च से हो चुकी है और यह 23 अप्रैल को समाप्त होगा। इस महीने में किए गए कुछ उपाय बहुत कारगर साबित होते हैं। जानते हैं इन उपायों के बारे में।
चैत्र मास के उपाय
- चैत्र माह में पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करते हुए उस पर लाल रंग अर्पित करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।
- चैत्र माह में पड़ने वाले हर बृहस्पतिवार को केले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का 108 बार जाप करना चाहिए। इससे कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में मान-सम्मान बढ़ता है।
- इस महीने में सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए और अर्घ्य देना चाहिए। इस माह सूर्य देव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोगों के छुटकारा मिल जाता है।
- चैत्र माह में दान-दक्षिणा का विशेष महत्व है। एक लाल कपड़े में 5 तरह के लाल फल-फूल रखकर इसे ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इस उपाय को करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- चैत्र माह में जानवरों को पानी पिलाना चाहिए और पशु-पक्षियों को दाना डालना चाहिए. माना जाता है कि इस महीने पशु-पक्षियों को दाना-पानी देने मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
- इस माह में मां दुर्गा के अलावा भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करना अति उत्तम माना जाता है। इस माह में भगवान विष्णु के मछली के स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके ऊपर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।

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