Chaitra Navratri 2023: What are the rules of Ghat Sthapana, do not commit these mistakes


समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार चौत्र नवरात्रि का प्रारंभ 22 मार्च बुधवार 2023 को हो रहा है जो 31 मार्च तक चलेगी। कलश स्थापना और घटस्थापना 23 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 29 से सुबह 07 बजकर 39 तक कर सकते हैं। घट स्थापना और कलश स्थापना में फर्क होता है। कलश तांबे का होता है और घट मिट्टी का होता है। घट स्थापना के नियम जानिए।
घट स्थापना कैसे की जाती है –
- घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।
- घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
- जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गले में मौली बांधे।
घट स्थापना में ये गलतियां न करें-
- घट में गंदी मिट्टी और गंदे पानी का प्रयोग न करें।
- घट को एक बार स्थापित करने के बाद उसे 9 दिनों तक हिलाएं नहीं।
- गलत दिशा में घट स्थापित न करें।
- जहां घट स्घ्थापित किया जा रहा है वहां पर और आसपास स्वच्छ स्थान होना चाहिए।
- शौचालय या बाथरूम के आसपास घट स्थापित नहीं होना चाहिए।
- घट को अपवित्र हाथों से छूना नहीं चाहिए।
- घट स्थापित करने के बाद घर को सूना नहीं छोड़ना चाहिए।
- घट के जवारों को विधिवत रूप से ही नदि आदि में प्रवाहित करते हैं।
- घट की नियमित रूप से पूजा अर्चना करते हैं।
- घट किसी भी रूप में खंडित नहीं होना चाहिए।
कलश स्थापना विधि –
- एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।
- अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।
- अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि श्हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।श्
- आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।


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