समाचार सच, देहरादून। लोकसभा एवं राज्यसभा में संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों के 143 सांसदों की अलोकतांत्रिक तरीके से की गई निलम्बन की कार्रवाई के विरोध में आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय से राजभवन की ओर कूच किया तथा वहां पर राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कांग्रेस कार्यकर्ता बडी संख्या में प्रदेश कार्यालय में एकत्र हुए जहां से उन्होंने विरोध-प्रदर्शन व नारेबाजी के साथ राजभवन की ओर कूच किया। जहां से पुलिस द्वारा कांग्रेसजनों को गिरफ्तार कर पुलिस लाईन ले जाया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन में कांग्रेसजनों ने कहा कि लोकसभा एवं राज्यसभा में संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों के 143 सांसदों की अलोकतांत्रिक तरीके से की गई निलम्बन की कार्रवाई का उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस विरोध करते हुए इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निन्दा करती है। लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्य सभा उपसभापति द्वारा लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदण्डों पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का घिनौना चेहरा सबके सामने लाते हुए कांग्रेस पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों के 143 सांसद, जो देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए, उन्हंे जनता ने जो कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी दी है, उसके अनुसार सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे थे, को संसद से निलम्बित कर दिया गया। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक ही नहीं अपितु स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य के लिए उचित नहीं है, जिसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का सदैव लोकतंत्र एवं लोकशाही में गहरा विश्वास रहा है और आज देश में लोकतंत्र के जितने भी स्तम्भ हैं, उनकी स्थापना में महात्मा गांधी से लेकर आज तक कंाग्रेस पार्टी का एक लंबा इतिहास रहा है। चुने हुए जन प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से विमुक्त करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा भारतीय संसद लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वाेच्च मंच है। संसद एवं देश की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने पर लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के उपसभापति द्वारा की गई यह कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है। चुने हुए सांसदों को संसद से बाहर करने की यह घटना लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी। स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा में असहमति को भी सुनना पड़ता है तथा देश और जनता से जुडे हुए मुद्दों पर अगर लोकतंत्र के सर्वाेच्च मन्दिर में चर्चा नहीं की जायेगी तो वे बतायें कि वे किस सदन में चर्चा करना चाहते हैं।
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि सत्ता प्राप्ति के लिए जनता की संवेदनाओं का शोषण करने का भारतीय जनता पार्टी का लम्बा इतिहास रहा है। इस प्रकार का गिरगिटी चरित्र भारतीय जनता पार्टी की पहचान है और वे जब सत्ता में होते हैं तो उनके स्वयं के लिए अलग नैतिक मूल्य एवं कानून होते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण संसद प्रकरण में विजिटिंग पास जारी करने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं जिन पर संसद कांड के सम्बन्ध मे अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कांग्रेसजनों ने कहा कि लोकसभा एवं राज्यसभा में गतिरोध बढाने के लिए भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के सांसदों के साथ जिस प्रकार की कार्रवाई की है वह भाजपा के तानाशाही रवैये को उजागर करती है। लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा उपसभापति द्वारा की गई इस कार्रवाई का विश्व के लोकतांत्रिक देशों में अच्छा संदेश नहीं गया है तथा देश के बुद्धिजीवी वर्ग ने भी लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के उपसभापति के इस अलोकतांत्रिक कदम की सराहना नहीं की है। भारतीय जनता पार्टी विषेशकर गृहमंत्री अमित शाह को कांग्रेस पार्टी एवं विपक्षी दल के निलम्बित सांसदों से माफी मांगनी चाहिए तथा सरकार द्वारा संसद सुरक्षा में हुई चूक की जिम्मेदारी लेते हुए सभी सांसदों का निलम्बन वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति से मांग करते हुए कहा है कि राजनैतिक प्रतिशोध और द्वेष की भावना से प्रेरित होकर विपक्षी दल के सांसदों के खिलाफ की गई निलम्बन की कार्रवाई की कडे शब्दो में निन्दा करती है तथा देश के संवैधानिक संरक्षक होने के नाते आपसे इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए विपक्षी दल के सांसदों का निलम्बन शीघ्र वापस लिए जाने की मांग करती है।
राजभवन कूच कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह विधायक ममता राकेश, वीरेंद्र जाती, फुरकान अहमद, अनुपमा रावत, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, डॉ. हरक सिंह रावत, मंत्री प्रसाद नैथानी, प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी, कोषाध्यक्ष आर्येन्द्र शर्मा, जोत सिंह गुनसोला, रामयश सिंह, डॉ. संतोष चौहान, मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ,प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी, राजेन्द्र शाह, हरि कृष्ण भट्ट, पूरन सिंह रावत, गोदावरी थापली, जयेन्द्र रमोला, भगवती सेमवाल, महानगर अध्यक्ष डॉ. जसविन्दर सिंह गोगी, महानगर अध्यक्ष हरिद्वार सतपाल ब्रहमचारी, राजेन्द्र चौधरी, जिलाध्यक्ष लक्ष्मी अग्रवाल, मोहित उनियाल, शांति रावत, शीशपाल सिंह बिष्ट, अनुकृति गुसांई, सेवादल अध्यक्ष हेमा पुरोहित, विरेन्द्र पोखलियाल, मानवेन्द्र सिंह, मनमोहन मल्ल, मनीष नागपाल, राजेश चमोली, आनन्द बहुगुणा, सोहन लाल रतूडी, अनुसूचित जाति अध्यक्ष दर्शन लाल, राजेश रस्तोगी, अमरजीत सिंह, प्रभुलाल बहुगुणा, सुजाता पॉल, पिया थापा, सुनीता प्रकाश, महेंद्र सिंह नेगी, डॉ. प्रदीप जोशी, विनोद चौहान, आशा मनोरमा डोबरियाल, विकास नेगी, कै. बलवीर सिंह रावत, नजमा खान, सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ सत्यनारायण सचान सपा, माले के इंद्रेश मैखुरी सीपीआई के समर भंडारी सीपीएम के राजेन्द्र नेगी, राजेन्द्र पुरोहित, कम्युनिस्ट पार्टी की इंदु नौटियाल, टीकाराम पाण्डेय, अर्जुन सोनकर, जगदीश धीमान, अनूप कपूर, सविता सोनकर, इलियार अंसारी, राजेश परमार, जितेन्द्र बिष्ट, उर्मिला थापा, ललित भद्री, आदर्श सूद, अनुराधा तिवाडी, अवधेश पंत, विनीत भट्ट, संजय सैनी, सावित्री थापा, डॉ. इकबाल, मेघ सिंह, टीटू त्यागी, मालती देवी, फैजल, पूनम सिंह, विजयप्रताप मल्ल, राकेश सिंह, रेखा काण्डपाल सती, प्रणीता डोभाल, सोनिया आनन्द, अखिलेश उनियाल, जोध सिंह रावत, संग्राम पुण्डीर, डॉ0 सुरेन्द्र सिंह, सुशील राठी, राहुल सोनकर, देवेन्द्र सिंह, महेश प्रताप राणा, हिमांशु रावत, रिषभ जैन, गौरव अग्रवाल, लाखीराम बिजलवाण, सलमान अहमद, अब्दुस समाद, दिनेश कौशल, सचिन थापा, अर्जुन पासी, प्रमोद गुप्ता, यूनिस अहमद, अभिशेक तिवारी, लक्की राणा, विजेन्द्र चौहान, सहजाद अंसारी, राजकुमार जायसवाल, राजेश पुण्डीर, हेमन्त उप्रेती आदि सैकडों कांग्रेसजन शामिल थे।
इधर हल्द्वानी महानगर में विपक्षी दलों के 143 सांसदों के निलंबन से नाराज कांग्रेसियों ने एसडीएम कोर्ट में प्रदर्शन कर नाराजगी जताई। कहा कि अलोकतांत्रिक तरीके से की गई इस कार्यवाही की कांग्रेस निंदा करती है और सभी सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग करती है। मामले में नायब तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा गया।
एसडीएम कोर्ट में एकत्र हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में लोकसभा और राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों के सांसदों पर निलंबन की कार्यवाही कर दी गई। जबकि सभी सांसद जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहे थे। आरोप लगाया कि ये कार्यवाही स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य के लिए अच्छी बात नहीं है। लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल इसे सहन नहीं करेगा। विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में सांसदों की आवाज दबाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जो कि भारतीय राजनीति के इतिहास का सबसे काला अध्याय है और अघोषित आपातकाल है। अन्य वक्ताओं ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को उनके कार्य से विमुक्त करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। सुरक्षा चूक मामले में आरोपियों को प्रवेश का विजिटिंग कार्ड जारी करने वाले भाजपा के सांसद पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
प्रदर्शन करने वालों में जिलाध्यक्ष नैनीताल राहुल छिम्वाल, महानगर अध्यक्ष गोविन्द बिष्ट, हरीश मेहता, जगमोहन चिलवाल, प्रकाश पांडे, एनबी गुणवंत, खजान पांडे, महेश शर्मा, शोभा बिष्ट, मधु सांगुड़ी, मलय बिष्ट, गीता बहुगुणा, कृष्णमोहन परगांई, नरेश अग्रवाल, नीमा भट्ट, जया पाठक, हेमंत बगड्वाल, कुंदन नेगी, नीरज रैक्वाल, हरेंद्र क्वीरा, इस्लामुद्दीन, देवेश तिवारी, मीमांशा आर्य, विनोद कुमार पन्नू, राधा आर्य, मनोज शर्मा, मनोज श्रीवास्तव, मनोज भट्ट, सुशील डुंगराकोटी, आशीष कुड़ई, सौरभ भट्ट, मयंक भट्ट, गोविंद बगड्वाल, मुकुल बल्यूटिया, कौशलेंद्र भट्ट, राजू रावत, संदीप भैसोड़ा, जसविंदर सिंह, अमित रावत, नरेंद्र खनी आदि शामिल रहे।
Congress marched to Raj Bhavan regarding suspension of MPs, sent memorandum addressed to the President
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