समाचार सच, देहरादून। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना की बहादुरी और पराक्रम की याद में हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया था और पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त कर बांग्लादेश का निर्माण किया था। इस ऐतिहासिक दिन को उत्तराखंड में विशेष श्रद्धा और गर्व के साथ मनाया गया।
देहरादून के परेड ग्राउंड में विजय दिवस के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय सेना के साहस और शौर्य को नमन किया। इस मौके पर उन्होंने शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं और माताओं के लिए परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा सुविधा देने की घोषणा की।
सीएम धामी ने किया वीरांगनाओं और रिटायर्ड सैनिकों का सम्मान
समारोह में मुख्यमंत्री ने शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं और पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि विजय दिवस भारत के लिए गौरवशाली और ऐतिहासिक दिन है, जब भारतीय सेना ने अपने पराक्रम से पाकिस्तान को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया था। सीएम ने सैनिकों के त्याग और बलिदान को याद करते हुए कहा कि उत्तराखंड, जिसे वीरभूमि भी कहा जाता है, हमेशा से सैनिकों और उनके परिवारों का कल्याण सुनिश्चित करने में अग्रणी रहा है।
वीरांगनाओं और माताओं के लिए विशेष सुविधा
मुख्यमंत्री ने कहा, ष्पहले चक्र विजेताओं की वीरांगनाओं को निशुल्क यात्रा सुविधा दी जा रही थी, लेकिन अब यह सुविधा सभी शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं और उनकी माताओं को भी उपलब्ध कराई जाएगी।ष् इस निर्णय से राज्य में सैनिक परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
उत्तराखंड में सैनिक धाम निर्माण पर जोर
सीएम धामी ने बताया कि उत्तराखंड में सैनिक धाम का निर्माण किया जा रहा है, जो राज्य के वीर सैनिकों की शौर्यगाथाओं को समर्पित होगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि राज्य में सैनिकों के कल्याण के लिए कई नई योजनाएं बनाई जा रही हैं।
भारत की सीमाएं सुरक्षित, सेना का मनोबल ऊंचा
मुख्यमंत्री ने कहा, ष्आज भारत हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। भारतीय सेना को उनकी जरूरत के अनुसार आधुनिक उपकरण और सुविधाएं दी जा रही हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। भारत की सीमाएं अब पूरी तरह सुरक्षित हैं।ष्
1971 के युद्ध की ऐतिहासिक जीत
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने अद्वितीय पराक्रम दिखाते हुए पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर किया था। इस जीत ने भारत के सामरिक और रणनीतिक कौशल को पूरी दुनिया में स्थापित किया।
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