समाचार सच. स्वास्थ्य डेस्क। जिंजीवाइटिस मसूढ़ों की सूजन होती है। यदि प्लेक ;एक चिपचिपा पदार्थ है जो लगातार गठन करता है जब कीटाणु मुंह में उपस्थित रहते हैं तो लार, खाद्य कणों और दांतों की सतह पर अन्य प्राकृतिक पदार्थ के साथ जमा हो जाता हैद्ध रोजाना ब्रशिंग और फ्लेकिंग के द्वारा दूर नहीं होता जिंजीवाइटिस होती है। प्लेक दांतों पर जमा हो जाता है औश्र गम लाइन के नीचे मसूढ़ों के ऊत्तकों में परेशानी पैदा करता है और मसूढ़ों की सूजन का कारण बनता है।
यह मसूढ़ों में सूजन की प्रारंभिक अवस्था के रूप में होता है, इसका आसानी से उपचार किया जाता है। हड्डी और संयोजी उत्तक जो दांतों को पकड़े हुए होते हैं। अगर जिंजीवाइटिस का इलाज नहीं किया जाए तो यह प्रोडोन्टिटिस नामक बीमारी को बढ़ा सकता है और दांत और जबड़ों के स्थायी नुकसान का कारण बन सकता है।
जिंजीवाइटिस के विशिष्ट संकते और लक्षण
- मसूढ़ों का लाल होना, सूजन, टेन्डर गम जिससे ब्रश करने पर खून आ सकता है।
- मसूढ़े जो परावृत्त होते दिखाई देते हैं और दांतों से खिचें जाते हैं। जो दांतों को लम्बी उपस्थिति देते हैं।
- मसूढ़ों का रोग दांतों और मसूढ़ों के बीच पाकिटों के गठन को नेतृत्व करता है और प्लेक और खाद्य अवशेष इन पाकिटों में जमा हो सकते हैं। मसूढ़ों का रोग बदबूदार सांसों या मुंह के खराब स्वाद का कारण भी हो सकता है, भले ही रोग उन्नत नहीं है।
जिंजीवाइटिस को दूर करने के उपाय
- रोजाना ब्रश करें और फ्लॉस दांतों के बीच और गमलाइन के नीचे से प्लेक को अच्छी तरह से दूर करता है और नियंत्रण के लिए टैटार का निर्माण करता है।
-नियमित चिकित्सकीय जांच के लिए जांए। एक दंत चिकित्सक से क्लीनिंग कराना प्लेक से बचने के लिए महत्वपूर्ण होता है जो टैटार में कठोर होते हैं।
-संतुलित आहार लें आपके आहार में कैल्शियम की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ होने चालिए, जैसे कि दूध और पनीर जो कैल्शियम के रूप में दांतों को मजबूत बनाते हैं।
-धूम्रपान और तबांकू जैसे व्यसनों से दूर रहें।
मसूढ़ों के रोगों की पहचान
मसूढ़ां का रोग प्रायः व्यस्कों में सबसे अधिक होता है, लेकिन यह बच्चों में भी हो सकता है। मसूढ़े की बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में उपचार किया जा सकता है, जैसे हड्डी और संयोजी ऊत्तक जो उस जगह पर दांतों को पकड़े रहते हें, इस अवस्था में प्रभावित नहीं होते हैं।
यदि आपको निम्नलिखित लक्षण हैं तो अपने दंत चिकित्सक से परामर्श करें-
-मसूढ़े लाल होना, फूलना या सूजन आ जाना।
-ब्रशिंग और फॉलिशिंग करते हुए मसूढ़ों से खून आना।
-आपके दांतों का लम्बा दिखाई देना, क्योंकि आपके मसूढ़े परावृत्त हो जाते हैं।
-मसूढ़ों का दांतों से अलग हुए या खिंचे हुए दिखाई देना।
-अपनी बाइट को बदले (अर्थात् वबाइटिंग करने पर आपके दांतों का तरीका एक साथ उपयुक्त हो।)
-आपके दांतों और मसूढ़ों की बीच पस हो।
-यदि आपके मुंह में बदबूदार सांसे आती हों और मुंह का स्वाद खराब हो।
अक्ल दाढ़ के दर्द छुटकारा दिलाते उपाय
अक्ल दाढ़ या दांत के ऊपरी और नीचली मोलर्स (दाढ़) में पाया जाता है। जब लगभग सभी दांत निकल जाते हैं तब व्यस्क होने पर यह दांत उभरने लगता है। 17 साल की उम्र के बाद चार अक्ल दांत निकलते हैं। अक्ल दांत जब एक ही कतार में नहीं निकलते तो बहुत ही तकलीफ देते हैं। इनका आकार कभी बहुत बड़ा या आड़ा-तिरछा हो सकता है। अक्सर अक्ल दाढ़ जीभ और जबड़े में गड़ते हैं जिससे दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाता और इसको उखड़वाना ही अंतिम विकल्प होता है।
अक्ल दाढ़ में दर्द का उपचार
- अक्ल दाढ़ या दांत के कारण अलग मसूढ़ों में सूजन आ जाए तो पानी को हल्का गुनगुना करके उसमें सेंधा नमक डालकर कुल्ला कीजिए। ज्यादा गरम और ज्यादा ठण्डे पानी का कभी प्रयोग न हीं करना चाहिए। 6 गिलास पानी में तीन चम्मच नमक डालकर उसे अच्छे से मिला लीजिए। नमकयुक्त पानी को 2 से 3 मिनट तक मुंह में रखकर कुल्ला कीजिए। दर्द से राहत मिलेगी। अक्ल दाढ़ के दर्द से बचने के लिए बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़ों को दांत के पास रखिए। इससे दर्द कम होगा और मसूढ़ों की सूजन भी समाप्त होगी।
- जब भी अक्ल दाढ़ में दर्द हो, हींग का इस्तेमाल करने से इस दर्द से तुरन्त राहत मिलती है। चुटकीभर हींग लेकर मौसम्मी के रस में मिलाकर उसे रूई में लेकर अक्ल दांत के पास रखिए। अक्ल दाढ़ दर्द के निवारण के सरल एवं कारगर माना जाता है।
- लौंग में औषधीय गुण होते हैं जो कीटाणुओं को समाप्त करते हैं। लौंग के उपयोग से बैक्टीरिया एवं अन्य कीटाणु समाप्त होते हैं। अगर अक्ल दाढ़ में दर्द हो रहा है तो लौंग को उसके नीचे रखिए दांत के दर्द से राहत मिलेगी।
- प्याज अक्ल दांत दर्द के लिए एक उत्तम घरेलू उपचार है। जो लोग रोजाना खाने में कच्चे प्याज का सेवन करते हैं उनको दांत दर्द की शिकायत कम ही होती है क्योंकि प्याज में ऐसे गुण होते हैं जो मुंह के कीटाणुओं और जीवाणुओं को समाप्त करती है। अगर आपकी अक्ल दाढ़ निकल रही है और उनमें दर्द है तो प्याज के टुकड़े को दांत के पास रखिए या प्याज को चबाएं। ऐसा करने के कुछ ही देर बाद आपको आराम महसूस होने लगेगा।
- लहसुन अक्ल दाढ़ दर्द में बहुत आराम पहुंचाता है। लहसुन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिसे खाने से कई प्रकार के दांतों के संक्रमण नहीं होते। लहसुन में एलीसिन होता है जो दांतों के पास से बैक्टीरिया, जर्म्स और जीवाणुओं को समाप्त कर दांतों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। अगर अक्ल दाढ़ में दर्द हो रहा हो तो लहसुन की एक कली को दांत के नीचे रखिए। इससे दांत का दर्द समाप्त हो जाएगा।
किडनी और फेफड़ों को खराब कर देते हैं अस्वस्थ मसूढ़े
मसूढ़े और दांतों की बीमारी को अगर आप गंभीरता से नहीं लेते हैं तो अपनी आदत बदल डालिए। यह अनदेखी कैंसर जैसी गंभीर समस्या का सबब भी बन सकती है। यह दावा लंदन का सबब बन सकती है। यह दावा लंदन के इम्पीरियल कालेज में 50 हजार लोगों के स्वास्थ्य रिकार्ड के अध्ययन के आधार भी किया जा चुका है।
क्या है मसूढ़ों की बीमारी
मसूढ़ों की बीमारी एक तरह का इन्फेक्शन होती हैं जो दांतों के नीचे हड्डियों तक फैल जाता है। ये एक आम समस्या है, जिसकी वजह से दांत निकल या टूट जाते है। मसूढ़ों की बीमारी के दो चरण होते हैं। अगर पहले चरण में हो इसका पता चल जाए तो इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। मसूढ़ों की बीमारी के पहले चरण को जिन्जीवाइटिस भी कहते हैं। गर्भवती महिलाओं को हल्की जिन्जीवाइटिस की समस्या होना बड़ी आम बात है। इसलिए इन्हंे अपनी सेहत व दांतों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।
पायरिया
ब्रश करते समय या खाने के बाद मसूढ़ों के ऊत्तक सड़कर पीले पड़ने लगते हैं। इस समस्या का मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना होता है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूढ़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इससे बचने के लिए मुंह की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पीरियोडोंटिस
यदि जिन्जीवाइटिस का उपचार नहीं किया जाए तो यह गंभीर रूप लेकर पीरियोडोंटिस में बदल जाता है। पीरियोडोंटिस से पीड़ित व्यक्ति में मसूढ़ों की अंदरूनी सतह पर हड्डियांे से दूर हो जाती हैं और उनमें पॉकेट बन जाते हैं। जिस कारण दांतों और मसूढ़ों के बीच मौजूद इस छोटी सी जगह में गंदगी इकट्ठी होने लगती हैं और मसूढ़ों और दांतों में संक्रण फैल जाता है। यदि ठीक से उपचार न किया जाए तो दांतों के चारों और मौजूद ऊत्तक नष्ट हो जाते हैं और दांत गिरने लगते हैं।
जानें क्यों और कैसे होती है? प्लेक की समस्या
इस अध्ययन में पाया गया है कि वे लोग जिन्हें मसूढ़े की बीमारी थी, उनमें कैंसर होने का खतरा उन लोगों के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक था जिन्हें मसूढ़े की बीमारी नहीं थी। मसूढ़े की बीमारी से ग्रस्त लोगों में फेफड़े और किडनी का कैंसर होने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक पाया गया है। इन लोगों में पैनक्रियाज के कैंसर होने का खतरा भी इतना ही अधिक था। ल्यूकेमिया जैसी ब्लड सेल के कैंसर का खतरा मसूढ़ों की बीमारी वालों को 30 प्रतिशत अधिक था।
प्रोटीन की कमी से मसूढ़ों की परेशानी
शोधकर्ताओं के मुताबिक यह भी हो सकता है कि मसूढ़े की बीमारी से संबंधित बैक्टीरिया जब फैलते हैं तो मुंह या गले का कैंसर हो जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मसूढ़े की बीमारी क बाद कैंसर से बचाव का इलाज शुरू कर देना चाहिए इसकी जगह लोगों को दांतों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
मसूढ़ों की बीमारी का इलाज
अगर मसूढ़ों की बीमारी के पहलने चरण का कोई भी लक्षण दिखे तो दंातों को ठीक से ब्रश व फ्लाश करें और तुरंत डेन्टिस के पास जाएं। क्योंकि जल्दी इलाज शुरू कराने से इस समस्या से निपटा जा सकता है। नहीं तो आपके दांत गिर सकते हैं और उन्हें निकालना पड़ सकता है। इसलिए तुरंत इलाज शुरू करवाएं। मसूढ़ों की बीमारी गंभीर समस्या है। ऐसे में आपका परामर्श डॉक्टर आपको पेरियोडोंटिस्ट (गम डिजीज स्पेशलिस्ट) के पास भेजसकता है। (साभार: आरोग्यधामद्)

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