सामान्य न समझें थायरॉइड की समस्या

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। तेजी से बदलती लाइफस्टाइल के इस दौर में भले ही थायरॉइड एक कॉमन बीमारी बन चुकी है, लेकिन इसे सामान्य स्वास्थ्य समस्या समझने की गलती आपकी सेहत के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, हमारे देश में प्रत्येक 10 लोगों में से एक व्यक्ति थायरॉइड की समस्या से पीड़ित है। हालांकि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन पुरूषाों के मुकाबले महिलाओं में इस रोग के होने की संभावना अधिक होती है। चलिए जानते हैं थायरॉइड की समस्या के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ सामान्य कारणों के बारे में, ताकि समय रहते इस रोग से हम खुद को बचा सकें।
क्या है थायरॉइड
थायरॉइड तितली के आकार की ग्लैंड यानी गं्रथि है, जो गले के बिल्कुल सामने और बीच वाले हिस्से में मौजूद होती है। थायरॉइड ग्रंथि का वजन 20 से 30 ग्राम होता है। यह ग्रंथि हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ-साथ हमारे द्वारा खाई गई चीजों को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा थायरॉइड ग्रंथि हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्राल को भी प्रभावित करती है और छोटे बच्चों के दिमागी विकास में अहम् भूमिका निभाती है। ऐसे में जब थायरॉइड ग्लैंड से निकलने वाले टी3, टी4 और टीएसएच हार्मोन्स का स्राव कम या ज्यादा होने लगता है तो थायरॉइड डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है।
थायरॉइड के प्रकार
आज अधिकांश लोग थायरॉइड जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं। दरअसल, इससे पीड़ित लोगों के हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं और वजन तेजी से बढ़नपे लगता है। इसके साथ ही उनमें कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। आमतौर पर थायरॉइड दो प्रकार का होता है।

  1. हाइपरथायरॉइडिज्म – जब थायरॉइड हार्मोन्स का उत्पादन असामान्य तरीके से अधिक होने लगता है, तब हाइपरथारॉइडिज्म की समस्या होती है। ऑटज्ञे इम्यून बीमारियां और गलत दवाइयों के सेवन से यह समस्या हो सकती है। वजन घटना, गर्मी न झेल पाना, ठीक से नींद न आना, प्यास लगतना, अत्यधिक पसीना आना, हाथ कांपना, दिल की तेजी से धड़कना, कमजोरी, चिंता, गर्भधारण में परेशानी, अनिद्रा इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण हो सकते है।
  2. हाइपोथायरॉइडिज्म – थायरॉइड हार्मोंन का पर्याप्त उत्पादन न हो पाने और भोजन में आयोडीन की कमी के कारण हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो सकती है। इससे पीड़ित महिलाओं में सुस्ती, थकान, कब्ज, धीमी हृदय गती, ठंड लगना, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन, अनियमित मासिक धर्म, बांझपन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
    कारण – हमारे रहन-सहन, खान-पान और रोजमर्रा की आदतों में कई ऐसी चीजें शुमार हैं, जो थायरॉइड के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
  3. तनाव – अत्यधिक तनाव लेने से इसका बुरा प्रभाव थायरॉइड ग्रंथि पर पड़ता है और यह ग्रंथि थायरॉइड हार्मोंन के स्राव को बढ़ा देती है, जिससे थायरॉइड हो सकता है।
  4. आयोडीन – थायरॉइड की समस्या डायट में आयोडीन का कम या अधिक इस्तेमाल करने के कारण भी हो सकती है, इसलिए इसका संतुलित मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  5. सोया प्रोडक्ट्स – सोया प्रोटीन, कैप्सूल, टोफू और पाउडर के रूप में सोया प्रोडक्ट्स का जरूरत से ज्यादा उपयोग करना आपको थायरॉइड का मरीज बना सकता है।
  6. दवाइयां – कई बार शरीर पद दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव भी दिखाई देता है। ऐसे में आप भी किसी दवा के साइड इफेक्ट से थायरॉइड के मरीज बन सकते हैं।
  7. रेडिएशन थेरेपी – अगर आप किसी मर्ज के इलाज के तौर पर रेडिएशन थेरेपी का सहारा लेते हैं तो यह भले ही आपको उस मर्ज से निजात दिला दे, लेकिन यह थायरॉइड का कारण भी बन सकता है।
  8. आनुवांशिकता – यह आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है यानी अगर आपके परिवार में किसी को थायरॉइड की समस्या है तो आपको भी यह बीमारी हो सकती है।
  9. गर्भावस्था – प्रेगेन्सी के दौरान गर्भवती महिलाओं में थायरॉइड होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि इस दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं।
  10. मेनोपॉज – यह भी थायरॉइड का कारण बन सकता है। दरअसल, मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति के समय महिला में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो थायरॉइड की वजह बन सकते है।
  11. ग्रेव्स रोग – यह थायरॉइड का सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि इस रोग में थायरॉइड ग्रंथि से थायरॉइड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह वंशानुगत विकार भी है जो एक ही परिवार के कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
  12. प्रदूषण – लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इससे सांस से जुड़े रोग तो होते ही हैं, साथ ही हवा में मौजूद जहरीले कण थायरॉइड ग्रंथि को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
  13. हाइपोथालमिक – पिटयुटरी ग्रंथि के कारण थायरॉइड की समस्या होती है। यह ग्रंथि थायरॉइड ग्रंथि को हार्मोन के उत्पादन का संकेत नहीं दे पाती, जिसकी वजह से यह समस्या आपको घेर सकती है।
  14. थायरॉइडस- यह सिर्फ एक बढ़ी हुई ग्रंथि या घेंघा है, जिसके बढ़ने पर हार्मोन की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है और थायरॉइड जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।
    लक्षण -थायरॉइड एक ऐसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो महिला और पुरूष दोनों को प्रभावित करती है, हालांकि दोनों में इसके लक्षण एक-दूसरे से थोड़े अलग जरूर हो सकते हैं। चलिए जानते हैं पुरूषों और महिालओं में थायरॉइड के कुछ सामान्य लक्षण।
    पुरूषों में – मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी, अत्यधिक थकान और सुस्ती, चिड़चिड़ापन और बैचेनी, कमजोर याददाश्त और डिप्रेशन, भूख न लगना या अत्यधिक खाना, वजन का कम होना या बढ़ना, जरूरत से ज्यादा या कम पसीना आना, स्तनों के आकार में असामान्य वृद्धि, कमर, कंधे व जोड़ों की मांसपेशियों में दर्द, आंखों में जलन या कम दिखाई देना, दिल की धड़कनों का तेज होना, आवाज में भारीपन व चेहरे पर सूजन, शुष्क बाल और रूखी बेजान त्वचा, कब्ज और पेट से जुड़ी समस्याएं, स्पर्म काउंट में कमी।
    महिलाओं में – बांझपन या गर्भधारण करने में परेशानी, तेजी से वजन बढ़ना या घटना, कमजोरी व थकान महसूस होना, मासिक धर्म में अनियमितता, तनाव व डिप्रेशन जैसी समस्या, दिल की धड़कनों का अनियमित होना, सीने में तेज दर्द की समस्या, भूख के बावजूद खाना न खा पाना, सर्दी या गर्मी बर्दाश्त न होना, कमजोर याददाश्त और सोचने समझने में परेशानी, चिड़चिड़ा स्वाभाव और बैचेनी महसूस होना, कब्ज और पाचन संबंधी समस्या, बालों का पतला होकर टूटना व नाखूनों का कमजोर होना, रक्तचाप में बढ़ोत्तरी।
    कैसे करें बचाव ?
    एक्सरसाइज- अगर आप थायरॉइड के मरीज हैं तो इसे कंट्रोल करने के लिए योग और एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे आपको स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।
    अदरक – अदरक में मौजदू एंटीइंफ्लेमेट्री गुण थायरॉइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लगता है। इसके अलावा इसमें मौजूद पोटैशियम, मैग्नीशियम इससे निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए इसका सेवन अवश्य करें।
    दूध और दही –थायरॉइड जैसी समस्या होने पर दही और दूध का उपयोग अधिक करना चाहिए। इनमें मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायरॉइड से बचाव करते हैं और इससे पीड़ित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
    गेंहू और ज्वार – आयुर्वेद के अनुसार, गेंहू और ज्वार थायरॉइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा साबूत अनाज से बने पदार्थों के सेवन से थायरॉइड की समस्या नहीं हेाती है, क्योंकि इनमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
    मुलेठी – थायरॉइड के मरीजों को बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है। ऐसे में मुलेठी का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद तत्व थायरॉइड ग्रंथि को संतुलित बनाते हैं और थकान को ऊर्जा में बदल देते हैं।
    थायरॉइड चेक कराएं – माता-पिता बनने के इच्छुक महिला और पुरूष दोनों को थायरॉइड टेस्ट करवाना चाहिए, इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपना थायरॉइड जरूर चेक कराना चाहिए।

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