
समाचार सच, गैरसैंण। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित पहाड़ी स्वाभिमान रैली में हजारों लोगों ने एकजुट होकर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान की कड़ी निंदा की। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी और पुतला दहन कर अपना विरोध दर्ज कराया। इसके साथ ही गैरसैंण उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। रैली में उमड़ी भारी भीड़ से प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए, लेकिन रैली को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया गया।

6 मार्च की सुबह से ही गैरसैंण के रामलीला मैदान में उत्तराखंड के कोने-कोने से आंदोलनकारियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। 10 बजे तक पूरा मैदान खचाखच भर गया, और बाजारों में भी भारी भीड़ नजर आई। रैली की शुरुआत में आंदोलनकारियों ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्उत्तराखंड जिंदाबाद, गैरसैंण जिंदाबादश् के नारे लगाए।
पहाड़ी स्वाभिमान मंच के बैनर तले आयोजित इस रैली को संबोधित करते हुए संयोजक सुरेश बिष्ट ने कहा कि आंदोलन केवल एक मांग के लिए किया जा रहा है मंत्री का इस्तीफा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो आगे और बड़े आंदोलन किए जाएंगे।
मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि एक तरफ उत्तराखंड के अस्तित्व को बचाने के लिए भू-कानून और मूल निवास की लड़ाई लड़ी जा रही है, तो दूसरी तरफ अब यह स्वाभिमान की लड़ाई भी बन चुकी है।
त्रिभुवन चौहान (केदारनाथ विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी) ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
प्रदेश सदस्य लूशन टोडरिया ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
द्वाराहाट के पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि उत्तराखंड निर्माण का मूल उद्देश्य पर्वतीय संरक्षण था, लेकिन सरकारें इसमें विफल रही हैं। द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट ने कहा कि उन्होंने मंत्री के बयान का सबसे पहले विरोध दर्ज कराया था और अब यह लड़ाई अंतिम निर्णय तक सड़कों पर लड़ी जाएगी। इस रैली ने यह साफ कर दिया कि उत्तराखंड के लोग अपने स्वाभिमान और हकों को लेकर किसी भी तरह के अपमान को सहन नहीं करेंगे।


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