समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारस तिथि पर मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती मनाई जाती है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, वह गीता में बताया गया है। और गीता के उपदेश में हमें आदर्श जीवन जीने, धर्म पथ का अनुसरण करने और अपने द्वारा किए जा रहे कर्मों के महत्व को समझाते है।
- कृष्ण ने गीता में क्या उपदेश दिया था?
- आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं गीता के उपदेश।
- जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं गीता के उपदेश।
- आइए यहां जानते हैं श्रीमद्घ्भगवद्गीता के खास उपदेश और अमूल्य विचार…
- श्री कृष्ण कहते हैं भगवान को जानने के लिए भक्ति ही एकमात्र साधन है।
- श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार जहां भगवान हैं वहां ऐश्वर्य, विजय और अलौकिक शक्ति हमेशा रहती है।
- ज्ञान को प्राप्त करने के लिए विनम्रता आवश्यक है।
- जिनकी बुद्धि अनेक शाखाओं में विभाजित रहती है, वो अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर पाते।
- इस संसार में सारे जीव भगवान के ही अंश हैं।
- गीता कहती हैं भगवान सबके हृदय में विराजमान हैं और उन्हीं से ही स्मृति तथा विस्मृति हमें प्राप्त होती है।
- आत्मा न तो जन्म लेती है और न ही मरती है।
- कृष्ण कहते हैं क्रोध में व्यक्ति अपना नियंत्रण खो बैठता है और आवेश में गलत कार्य करके जीवनभर पछताता है।
- भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मनुष्य को फल की इच्छा छोड़कर अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए।
- गीता के अनुसार मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे उसी के अनुरूप फल मिलता है। अतरू व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए।
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