समाचार सच, नैनीताल। उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह रोक आरक्षण नियमावली की अधिसूचना जारी न होने और रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं के चलते लगाई गई है।


शनिवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने 12 जिलों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन कोर्ट में लम्बित मामले के बावजूद सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने पर नाराज़गी जताई गई। मुख्य न्यायाधीश जी.एस. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरक्षण रोटेशन नियमों के अनुरूप नहीं है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह अपनी स्थिति का जवाब पेश करे। याचिकाकर्ता गणेश दत्त कांडपाल और अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि सरकार ने 9 जून को नई आरक्षण नियमावली जारी की थी और 11 जून को पहले की आरक्षण प्रक्रिया को शून्य घोषित कर नया रोटेशन लागू किया। इससे कई सीटें लगातार आरक्षित हो गई हैं, जिससे आम वर्ग के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिल पा रहा।
राज्य निर्वाचन आयोग ने दावा किया कि सरकार ने आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी थी। लेकिन कोर्ट में सरकार संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सकी।
गौरतलब है कि इससे पहले 21 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, हरिद्वार को छोड़कर बाकी 12 जिलों में पंचायत चुनाव दो चरणों में होने थे और 19 जुलाई को मतगणना प्रस्तावित थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब पूरी प्रक्रिया पर विराम लग गया है।




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