30 फीट लंबी मशाल के साथ गूंजा बौराणी मेला, सैकड़ों ग्रामीणों ने निभाई सदियों पुरानी परंपरा

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समाचार सच, पिथौरागढ़। उत्तराखंड की संस्कृति और आस्था से ओतप्रोत बौराणी मेला इस बार भी पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। बेरीनाग के प्रसिद्ध राम मंदिर क्षेत्र में आयोजित इस मेले में परंपरा, भक्ति और लोक संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिला।

मेले की सबसे खास झलक रही गोबरगाड़ा गांव से लाई गई 27 फीट लंबी विशाल मशाल, जिसे सैकड़ों ग्रामीणों ने कंधों पर उठाकर करीब पांच किलोमीटर की पदयात्रा के बाद सैम देवता मंदिर तक पहुंचाया। मंदिर परिसर पहुंचकर भक्तों ने सात बार परिक्रमा की और फिर परंपरा के अनुसार मशाल को मंदिर परिसर में गाड़ दिया।

ग्रामीणों ने इस दौरान सैम देवता की विधिवत पूजा-अर्चना कर गांव, प्रदेश और परिवारों की सुख-समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व विधायक मीना गंगोला ने किया। उन्होंने कहा कि बौराणी मेला न केवल हमारी धरोहर और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जोड़ने का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि मेले को हर वर्ष और अधिक भव्य रूप दिया जाएगा।

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दोपहर में स्कूली बच्चों और सांस्कृतिक दलों ने मनमोहक लोक नृत्य और गीत प्रस्तुत किए, जबकि शाम होते-होते पूरा क्षेत्र झोड़ा, चांचरी और लोकधुनों से गूंज उठा। लोक कलाकार दीवान कनवाल, प्रकाश रावत, नीरज चुफाल और श्वेता मेहरा की प्रस्तुतियों ने उपस्थित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

पूर्व दर्जा राज्य मंत्री खजान चंद्र गुड्डू ने कहा कि बौराणी मेला हमारी एकता, आस्था और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत उदाहरण है। मेले की अध्यक्षता कर रहे राजेंद्र बोरा ने बताया कि यह दो दिवसीय आयोजन शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं, ग्रामीणों और प्रशासन का आभार जताया।

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आपको बता दें कि कभी जुए के लिए कुख्यात यह मेला अब संस्कृति और भक्ति का पर्व बन चुका है। वर्ष 2004 में स्थानीय युवाओं और प्रशासन के प्रयासों से जुए की कुप्रथा पर पूरी तरह रोक लगाई गई थी। आज यह मेला लोक विरासत और आस्था का प्रतीक बनकर नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ रहा है।

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