समाचार सच, हल्द्वानी। उत्तराखंड सरकार द्वारा जमीनों की रजिस्ट्री को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस करने के फैसले का प्रदेशभर के वकील लगातार विरोध कर रहे हैं। अधिवक्ता और दस्तावेज लेखक इस नई व्यवस्था को खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी रोजी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है।
सोमवार, 10 मार्च को कुमाऊं के विभिन्न जिलों और तहसीलों से बड़ी संख्या में वकील हल्द्वानी पहुंचे और कुमाऊं कमिश्नर कार्यालय का घेराव किया। वकीलों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विरोधस्वरूप राज्यपाल व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।
धरने पर बैठे वकीलों ने सरकार को साफ संदेश दिया कि यदि डिजिटल रजिस्ट्री की व्यवस्था जल्द वापस नहीं ली गई तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा। अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार इस फैसले को पारदर्शिता और भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में एक कदम बता रही है, लेकिन इससे हजारों वकीलों और उनसे जुड़े टाइपिस्ट, मुंशी व अन्य कर्मचारियों का रोजगार खतरे में पड़ जाएगा।
वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया सिर्फ ऑनलाइन नहीं हो सकती, क्योंकि इसमें कई कानूनी जटिलताएं होती हैं, जिन्हें बिना कानूनी सलाह के पूरा करना आम लोगों के लिए मुश्किल होगा। वकीलों ने मांग की है कि सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे और अधिवक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।


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