हल्द्वानी की प्राचीन रामलीलाः लक्ष्मण भये मुर्च्छित तो हनुमान उठायो संजीवनी पर्वत

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समाचार सच, हल्द्वानी। यहां रामलीला मैदान में प्राचीन श्री रामलीला मंचन में दिन की लीला में लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, तत्पश्चात लक्ष्मण शक्ति, हनुमान जी द्वारा जड़ी बूटी पर्वत लेकर आना रास्ते में उनका भरत जी के साथ मिलाप, लक्ष्मण जागृति और कुंभकरण वध तक की लीला मंचन किया गया। जबकि रात्रि लीला में सीता खोज, लंका दहन विभीषण शरणागति आदि लीलाओं का बहुत सुंदर मंचन वृंदावन से आए कलाकारों द्वारा किया गया। Haldwani’s ancient Ramlila

गुरूवार को दिन की लीला में मेघनाथ मायावी रथ पर सवार होकर अपने दल बल के साथ रामादल पर आक्रमण कर देता है। हनुमान, सुग्रीव, जामवंत व श्रीराम से युद्ध के बाद लक्ष्मण व मेघनाथ में घनघोर युद्ध होने लगता है। लक्ष्मण के बाणों से तिलमिला उठता है। अंत में उसने ब्रह्मा द्वारा प्राप्त शक्ति बाण का संधान किया। जिसके प्रहार से लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते है। फिर उनके राक्षसी सेना लक्ष्मण जी के शरीर को उठाने का प्रयास करती है, इतने में हनुमान जी पहुंच जाते है और सारे राक्षसों को मार के भगा देते है और लक्ष्मण को मूर्छित अवस्था में श्रीराम के पास ले आते हैं। श्रीराम विलाप करने लगते है तभी विभीषण के परामर्श से हनुमान लंका जाते है और सुषेन वैध को उठाकर ले आते हैं। वैद्य के बताए अनुसार हनुमान जी द्रोरदागिरी पर्वत को प्रस्थान करते है तथा संजीवनी बूटी न खोज पाने के कारण पूरे पर्वत को उठाकर आकाश मार्ग से चल देते है। अवध क्षेत्र से गुजरते हुए भरत जी देखते है और बाण चला देते है, जिसके कारण हनुमान जी पर्वत सहित भूमि पर आ जाते है। भरत जी और हनुमान जी में वार्ता होती है तथा यह बताते है की यदि रात बीत गई तो संजीवनी का प्रभाव नहीं रह जायेगा और लक्ष्मण जी के प्राण बचाना मुश्किल हो जायेगा। अविलंब भरत से विदा होने के बाद हनुमान जी रामादल में आ जाते है। सुषेण वैद्य संजीवनी बूटी द्वारा औषधि तैयार करके लक्ष्मण को पिलाते है। औषधि के प्रभाव लक्ष्मण जी चौतन्य अवस्था में आ जाते है सारे रामादल में प्रसन्नता को लहर छा जाती है। उधर रावण यह समाचार पाकर कुंभकरण को जगाने जाता है काफी प्रयास के बाद उसके उठने पर उसे मांस मंदिरा का सेवन कराया जाता है। फिर रावण सारी बाते बताता है। कुंभकरण रावण को समझाता है कि सीता जगदम्बा है उनका हरण करके तुमने अच्छा नही किया। मां सीता कालरात्रि स्वरूपा है। इसलिए बैर व संघर्ष न करो सीता को वापस कर दो, तब रावण कुंभकरण पर क्रोधित होता है। भाई को उलहाना देता है अंत में कुंभकरण युद्ध के लिए प्रस्थान करता है। श्रीराम से घनघोर युद्ध होता है श्रीराम के बाणों से उसका मस्तक कट जाता है वह वीरगति को प्राप्त होता है। लंका में शोक व्याप्त हो जाता है।

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लीला के विश्राम के बाद कमेटी द्वारा कुंभकरण के भव्य पुतले का दहन किया। दिन की लीला में व्यास पुष्कर चन्द्र भट्ट (शास्त्री जी) ने मेघनाथ युद्ध, लक्ष्मण शक्ति, हनुमान जी द्वारा जड़ी बूटी पर्वत लेकर आना रास्ते में उनका भरत जी के साथ मिलाप, लक्ष्मण जागृति और कुंभकरण वध तक की लीला संुदर वर्णन किया। जिसे सुन उपस्थित दर्शक भावविभोर हो गए। वहीं तबले पर पं0 प्रमोद भट्ट ने संगत दी। आज अतिथि के रूप में अपर निदेशक आईटीआई ऋचा सिंह, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष हेमंत बगड्वाल, प्रकाश रावत, ललित जोशी, शंकर कोरंगा, हेमंत अग्रवाल, नवनीत अग्रवाल, पंकज कपूर, मनोज गुप्ता, सौरभ भट्ट आदि उपस्थित रहे।

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