
Ancient Ramlila of Haldwani: समाचार सच, हल्द्वानी। श्री प्राचीन रामलीला मैदान में रामलीला संचालन समिति के व्यास पुष्कर दत्त भट्ट शास्त्री जी द्वारा शुक्रवार को मेघनाथ युद्ध, मेघनाथ वध, सुलोचना सती की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान मंचन देखकर श्रोता भावविभोर हो गए। जबकि इधर रात्रि लीला में व्यास जानकी दास जी द्वारा श्री रामेश्वरम स्थापना, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति एवं कुंभकरण वध की लीला का सुंदर चौपाई गा कर मंचन किया गया।


व्यास जी कहते हैं कि पुष्कर दत्त भट्ट शास्त्री द्वारा व्यास मंच से प्रस्तुत की गई लीला के अनुसार लंका में जब रावण अपने दरबार में बैठे होते हैं और उन्हें इस बात की चिंता होती है कि धीरे-धीरे उनके परिवार के सभी सदस्य युद्ध मैदान में मारे जा रहे हैं अब आगे क्या होगा, इस प्रकार से सभा करते हैं और मेघनाथ अपने पिता श्री रावण से रणमैदान में जाने के लिए आज्ञा मांगते हैं तो रावण कहता है कि अब तो मुझे ही युद्ध करने के लिए जाना पड़ेगा तुम घर पर ही रहो परंतु मेघनाथ गुस्से में आ जाता है और कहता है कि पिताश्री आप मुझे आज्ञा दें मैं विजय श्री पाकर लौटूंगा इस प्रकार से वह अपनी पत्नी सुलोचना के पास पहुंचते हैं जहां सुलोचना उन्हें बार-बार समझाती है कि है स्वामी युद्ध मैदान में मत जाइए आप यहीं रहिए इस में ही भलाई है परंतु मेघनाथ नहीं मानता है इसके बाद सुलोचना उनकी आरती उतारकर और युद्ध मैदान में जाने के लिए सहमती दे देती हैं, इधर मेघनाथ अपनी सारी सेना को लेकर श्री राम की सेना के सामने पहुंचता है और मैदान में लड़ने के लिए ललकारता है।
इधर भगवान राम की सेना भी मेघनाथ की सेना को आते देख युद्ध मैदान में उतर आती है इस बीच दोनों ही ओर से घनघोर युद्ध होता है संग्राम देखने लायक था काफी देर तक भगवान राम लक्ष्मण और मेघनाथ के बीच युद्ध चलता है मायावी मेघनाथ तरह-तरह की माया चलाता है सभी प्रयोग कर लिए परंतु भगवान श्री राम की माया के आगे उसकी नहीं चलती है तो फिर रावण के पास पहुंचता है और सारी बात सुनाता है रावण से आज्ञा लेकर कहता है कि अब भले ही रण मैदान में मर जाऊं या जीत कर आऊ ऐसा प्रण कर युद्ध मैदान में डटा रहता है परंतु अंत में जाकर भगवान राम लक्ष्मण मेघनाथ को मार देते हैं।
इधर जब एक भुजा मेघनाथ की उनकी धर्मपत्नी सुलोचना के घर जाकर गिरती है तो इस भुजा को उनकी दासी देखती हैं और यह संदेश सुलोचना को देती है इसके पश्चात जब सुलोचना अपने पति की भुजा और कटा हुआ सिर देखती है तो बहुत दुखी होती हैं और विलाप करते हुए कहती हैं कि मैंने स्वामी मेघनाथ से जाने से पहले ही मना किया था कि तुम श्री राम से युद्ध करने के लिए मत जाओ घर पर ही रहिए इस में ही भलाई है परंतु वह नहीं माने अंत में जाकर मेरे पति मारे गए। इस प्रकार से बहुत रोती बिलखते हुए सुलोचना दासियों के सामने अपनी व्यथा सुनाती हैं। इस मार्मिक प्रसंग की लीला को सुनकर रामलीला मैदान में मौजूद दर्शक भी भावुक हो जाते हैं।
अतिथि के रूप में भगवान सहाय, भूमेश अग्रवाल, मुकेश पाल, अभिषेक मित्तल, मोहन पाल, अमित अग्रवाल, विजय अग्रवाल, डा निधि गुप्ता, हरि मोहन अरोड़ा मोना आदि रहे। संचालन समिति सदस्य वेद प्रकाश अग्रवाल, बिंदेश गुप्ता, एन बी गुणवंत, विवेक कश्यप, अतुल अग्रवाल, भोलानाथ केसरवानी, विनीत अग्रवाल, पंकज कपूर आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।
रामलीला संचालन समिति के सदस्य भवानी शंकर नीरज ने बताया की कल को रामलीला मैदान में विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा। जिसमें रावण वध तथा अग्नि परीक्षा आदि की लीला का मंचन होगा, रावण पुतला दहन तथा बाहर से आए आतिशबाज द्वारा सुंदर आतिशबाजी का भी प्रदर्शन किया। जाएगा।




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