समाचार सच. स्वास्थ्य डेस्क। उफ, यह हैडेक फिर शुरू हो यगा, क्या आप भी सिरदर्द से परेशान हैं? दर्द की तीव्रता से माथे में, सिर के बीचोंबीच या फिर खोपड़ी के बेस में कंपन सा महसूस होात है? सिरदर्द तो आजकल आम बात हो गई है। कौन परवाह करता है। एकाध पेन किलर ली और निकल पड़े अपने काम पर।
माइग्रेन सिर के एक हिस्से में लगातार होने वाला दर्द हैं जिसके साथ प्रायः जी मचलना, उल्टी आना, लाइट साउंड के प्रति अतिसंवदेनशीलता की समस्या भी होती है। अगर दृष्टि संबंधी समस्या जैसे फ्लैश चमकना, घुमावदार रास्ते से होकर चलना, अंधेरी जगह पर लाइट की जगमगाहट को देखकर परेशानी होती है और सिर में तेज दर्द होता है तो यह माइग्रेन का एक और प्रकार है।
माइग्रगेन एक न्यूरो बॉयोलॉजिकल डिसॉर्डर है। जिन लोगों को अनुवांशिक तौर पर दिमाग के केंद्र में कुछ समस्याएं होती है, ऐसे लोग माइग्रेन को लेकर ज्यादा संवेदनशील होते है।
लेकिन जरूरी नहीं है कि यह मामूली सिरदर्द हो। यह माईग्रेन भी हो सकता है। क्या आप जानते हैं कि भारत में हर 8वां व्यक्ति माइग्रेन से पीड़ित है। हमारे यहां पुरूषों के मुकाबले महिलाएं माइग्रेन की अधिक शिकार होती है।
सिरदर्द, माइग्रेन हो सकता है
मुंबई के जसलोक लीलावती अस्पताह के हैडेक व माइग्रेन क्लीनिक इंचार्ज डॉ. के. रविशंकर बताते हैं कि सिरदर्द से पीड़ित आम लोग सोचते हैं कि उन्हें माइग्रेन नहीं हो सकता। आंकड़े बताते है कि भारत में आधे से ज्यादा माइग्रेन रोगी डाक्टर के पास नहीं जाते। जो जाते भी हैं उन में से भी अधिकतर को सही नहीं मिलता है। अमेरिका के हैडेक एसोसिएट्स की निदेशक लिसा मेनिक्स बताती हैं कि बहुत से माइग्रेन पीड़ितों के डाक्टर ही यह कह कर गुमराह करते हैं कि उन का सिरदर्द साइनस या फिर तनाव के कारण है क्योंकि इन के लक्षण बहुत कुछ मिलते जुलते हैं।
आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जिसे कभी हैडेक न हुआ हो। एक सर्वेक्षण के अनुसार 12 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में 91 प्रतिशत पुरूष व 95 प्रतिशत महिलाओं ने एक या अधिक बार सिरदर्द अनुभव किया है। अधिकतर पीड़ित तभी डाक्टर के पास जाते हैं जब यह दर्द असहनीय हो जाता है। सिरदर्द का कोई एक कारण नहीं होता है। आमतौर पर सिरदर्द के कारणों में खानपान से लेकर दिनचर्या में आया कोई छोटा या बड़ा बदलाव, शारीरिक थकान या फिर मानसिक तनाव हो सकते है।
90 से 95 प्रतिशत हैडेक प्राथमिक अवस्था में होता है। कुछ को तनाव के कारण होता है और कुछ को ज्यादा काम करने से उपजी थकान के कारण, ब्रेन ट्यूमेर या फिर सिर में चोट लगने से भी सिर में अजीबोगरीब सा दर्द रहता है। लेकिन ऐसे मामले बहुत कम हैं। इन मामलों में सिरदर्द तो सिर्फ एक लक्षण है, असली समस्या तो कुछ और होती है।
हर व्यक्ति के सिरदर्द का अनुभव दूसरे से अलग होता है। इसलिए सिरदर्द को श्रेणीब( करना आसान नहीं है। माइग्रेन का अटैक कभी-कभी रोगी के शरीर को इतना कमजोर बना देता है कि उस के जीवन की गति अवरू( हो जाती है। इसके विपरीत कुछ लोगों को तकलीफ तो होती है लेकिन वे तकलीफ की परवाह किए बिना अपने काम में लगे रहते हैं। ऐसे में यह पता लगाना मुश्किल होता है कि मरीज का सिरदर्द किस किस्म का है। ये दोनों प्रकार के दर्द अलग – अलग बीमारियां हैं या फिर एक ही बीमारी के दो स्तर।
इसके जवाब में न्यूयार्क के एक हैडेक विशेषज्ञ रिचर्ड लिप्टन का कहना है कि इस प्रश्न से कई बार उन्हें भी जूझना पड़ता है। हैडेक के बारे में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है, जो हम विशेषज्ञ भी नहीं जानते है। तनाव से उपजा सिरदर्द आजकल इतना कामन है कि हम भी पूरी तरह नहीं जान पाते हैं। कि मरीज के दिमाग के भीतर क्या चल रहा है।
पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में माइग्रेन अटैक का खतरा तीन गुना अधिक रहता है। इस अटैक का प्रभाव 4 में 72 घंटे तक रहता है। पुरूषों में माइग्रेन के बजाय क्लस्टर हैडेक अधिक पाया जाता है। इस हैडेक के अटैक की अवधि कम होती है, 30से 90 मिनट। यह अटैक दिन में एक से अधिक बार भी आ सकता है। यह दर्द एक आंख के पीछे होता है जैसे किसी ने आंख में गरम- गरम सलाख चुभो दी हो।
दर्द में होता है अंतर
माइग्रेन के लक्षण तनाव व थकान से उपजे सिरदर्द से भिन्न होते हैं। डॉ. लिप्टन बताते हैं कि माइग्रेन का दर्द सिर के एक हिस्से में होता है जबकि तनाव से उपजा सिरदर्द दोनों तरफ होता है। माइग्रेन के दर्र से सिर में कंपन सा महसूस होता है जबकि तनाव का दर्द एक ही जगह पर स्थिर रहता है। माइग्रेन का दर्द मृदुल से लेकर सामान्य होता है। माइग्रेन के साथ हमेशा कुछ और लक्षण भी जुड़े रहते हैं जैसे जी मिचलाना, रोशनी में जी घबराना, उलटी होना, इसके विपरीत थकान व तनाव से होने वाला सिरदर्द मात्र सिरदर्द ही होता है।
माइग्रेन के साथ आंखों में रहरह कर बिजली सी कौंधती है, आंखों के सामने आड़ी तिरछी रेखाएं व कई प्रकार के दृष्टि व्यवधान आते हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा सब के साथ हो। कुछ मामलों में लक्षण भिन्न हो सकते हैं। कुछ में साइनस का दबाव बढ़ जाता है तो कुछ में कंजेशन की समस्या हो सकती है।
न्यू इंग्लैंड सेंटर फार हैडेक के निदेशक स्टीवर्ट टेपर बताते हैं कि अगर कोई उनके क्लीनिक में आकर उन से शिकायत करता है कि पिछले 6 महीने से उस के सिर में रहरह कर सिरदर्द होता है तो इस प्रकार के सिरदर्द के माइग्रेन होने की संभावना 94 प्रतिशत है। यह हमारे शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित करता है। माइग्रेन स्ट्रोक और मोटापे जैसे गंभीर रोगों से भी जुड़ा हुआ है।
इस से अन्य रोग भी
14 मरीजों पर किए गए ताजा अध्ययन के अनुसार माइग्रेन रोगियों को स्ट्रोक होने का खता आम आदमी से कई गुना अधिक रहता है। अटैक के दौरान ब्रेन की ओर प्रवाहित होने वाले रक्त के प्रवाह में बदलाव आता है, जिसके परिणामस्वरूप खून के थक्के बन सकते हैं।
माइग्रेन आपके पेट को भी प्रभावित कर सकता है। माइग्रेन के दौरान जी मिचलाना व उल्टी होती है। लेकिन कुछ लोगों को माइग्रेन के दौरान गैस की समस्या हो जाती है, जिस के परिणामस्वरूप पेट बहुत जल्दी खाली नहीं होता है, जिस की वजह से दर्दनिवारक दवा की रक्तप्रवाह में आत्मसात होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और दर्द से तुरंत आराम नहीं मिलता है।
न्यूयार्क के विशेषज्ञ रिचर्ड लिप्टन द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार सामान्य लोगों के मुकाबले मोटे लोगों को रोजाना सिरदर्द व माइग्रेन अटैक ज्यादा होते है।
माइग्रेन का उपचार है संभव
आमधारणा है कि माइग्रेन का कोई इलाज नहीं है जबकि ऐसा नहीं है। माइग्रेन के उपचार के लिए 2 प्रकार की दवाएं हैं, पहली दर्दरोधक यानी जिन्हें माइग्रेन अटैक होने पर तुरंत लिया जाता है। जैसे ब्रुफेन, एस्प्रिन, पैरासिटामोल आदि, इन दवाओं से असहनीय दर्द से तुरंत राहत मिलती है। इन दवाओं से असहनीय दर्द से तुरंत राहत मिलती है। बच्चों को एस्प्रिन नहीं देनी चाहिए। इन दवाओं का प्रयोग सप्ताह में 2 बार से अधिक न करें।
दूसरी है दर्दनिवारक दवाएं, जो अटैक को रोकने के लिए रोजाना ली जाती हैं। लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि ये दवाएं ब्रेन केमिकल्स को प्रभावित करती हैं।, जो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेशवाहक की भूमिका निभाते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार इन दवाओं का नियमित सेवन करने वाले मरीजों को माइग्रेन अटैक 50 प्रतिशत तक कम होते हैं। जिनको महीने में 3 या 4 बार माइग्रेन अटैक हो जाता है उन मरीजों को दर्दनिवारक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इन दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
हैडेक विशेषज्ञ लिसा मैनिक्स कहती है कि असहनीय सिरदर्द होने पर आम लोग यह सोचते हैं कि उन्हें ट्यूमर है लेकिन ट्यूमर की वजह से सिरदर्द के अतिरिक्त और भी बहुत से लक्षण होते हैं। आमतौर पर हैडेक किसी गंभीर समस्या की ओर इंगित करते हैं। अगर आपको लगातार सिरदर्द की शिकायत रहती है, दर्द के कारण आप रात में उठकर बैठ जाती है, दर्द, जो दवाएं लेने पर भी पूरी तरह से नहीं जाता है या फिर आप की नजर कमजोर हो रही है, शरीर का कोई एक भाग सुन्न या कमजोर पड़ गया है, उच्चारण अस्पष्ट हो रहा है, जी घबराता है, चक्कर आते हैं, दर्द से गरदन या कंधे अकड़ जाते हैं, जी मिचलाने व उलटी आदि होने पर डाक्टर से संपर्क करें।
निम्न बातों को ध्यान में रखकर माइग्रेन से बचाव संभव हैं:-
खाना समय पर खाएं –
ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव की वजह से अचानक तेजी से होने वाला दर्द माइग्रेन के लिए जिम्मेदार है। इसलिए 3 घंटे से ज्यादा भूखे न रहें। खाने में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ हरी सब्जियां, मूंग आदि को शामिल करें। यह ग्लूकोज के स्तर को संतुलित रखने में मददगार होगा।
पर्याप्त नींद लें –
पर्याप्त नींद लें। अपने सोने और उठने के समय को लेकर दृढ़ रहे। रोजाना 8 घंटे की नींद अवश्य लें।
कैफीन का सेवन न करें –
अगरआप रोजाना बड़ी मात्रा में कैफीन लेते है तो आप खुद को सिरदर्द के लिए तैयार कर रहे हैं। यह दिमाग के ब्रेन सेंटर में जाकर माइग्रेन को बढ़ा सकता है। 200 मिलीग्राम कैफीन एक दिन में लेना पर्याप्त है जो कि 230 एम.एल. कॉफी कप में होता है। (मनजीत कौर भाटिया)

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -
👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें
👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें
हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440