एक पूर्व नौसैनिक कैसे बना एक असफल लेखक से 1,49,000 सब्सक्राइबर वाला एक सफल यूट्यूबर…

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-यूट्यूब ने किया है सिल्वर क्रिएटर अवार्ड से समान्नित।
-यूट्यूब चैनल से 45,000 – 50,000 रुपये कमाते हैं प्रतिमाह

समाचार सच, हल्द्वानी। एक मुलाकात शीर्षक में समाचार सच इस बार आपको एक ऐसे पूर्व नौसैनिक से मिला रहे हैं। जिनसे एक असफल व्यक्ति प्रेरणा लेकर अपने आप को सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचा सकता हैं। मूल निवासी अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर तथा हाल निवासी गांधी आश्रम, फतेहपुर, हल्द्वानी के रहने वाले पूर्व नौसैनिक जय लाल वर्मा में कुछ ऐसा जज्बा है कि अगर वह किसी कार्य को सीखने का प्रण कर लेते है तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। श्री वर्मा के अन्दर बचपन से ही उपन्यास, कहानी, हिन्दी तथा कुमाऊँनी कविता व रचनाएं लिखने का भी शौक था। पर वह इस क्षेत्र में कुछ ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर पायें। लेकिन श्री वर्मा ने इन सब बातों को भुला कर कैसे असफलता को सफलता में बदला इस बात की जानकारी समाचार सच के संपादक अजय चौहान और मोटिवेशनल स्पीकर कुलदीप सिंह ने उनकी जुबानी सुनी जिसके एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के कुछ मुख्य अंश:

आप अपने प्रारंभिक जीवन के बारे में कुछ बताएं?
मैं अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के नज़दीक चनोली का रहने वाला हूँ। मेरी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से ही हुई है। फिर मैं नौसेना में भर्ती हो गया।

आपने कौन-कौन सी किताबें लिखी है और ये शौक आपका कब से शुरू हुआ?
बहुत अच्छा सवाल किया आपने कुलदीप जी और ये सवाल मेरी जिंदगी से काफी गहराइयों तक जुड़ा हुआ है। कक्षा 11 में मैं अपनी क्लास का मॉनिटर था। शिक्षक दिवस का दिन था और मुझे बोलने का मौका मिला। जैसे ही मैं स्टेज पर गया तो मैं शिक्षक दिवस पर कुछ बोल ही नहीं पाया। सब लोगों ने मेरा मज़ाक बनाया। प्रिंसिपल महोदय ने मुझे कहा कि तुम क्लास मॉनिटर लायक ही नहीं हो और मुझे सजा मिली। उस दिन मैंने प्रण लिया कि अगली साल तक मैं कुछ कर के दिखाऊंगा और मैंने एक नॉवेल लिखी जिसके लिए मुझे शिक्षक दिवस पर सम्मानित भी किया गया।

नौसेना से रिटायर हो कर आपने क्या किया?
मैंने और मेरी पत्नी ने मिलकर सन् 2011 में जल तरणी नामक एक किताब लिखी। फिर मैंने सोचा कि आज तक मैंने अपने पहाड़ के लिए क्या किया! तो मैंने वर्ष 2014 में उत्तराखंड कल आज और कल नामक किताब लिखी। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत जी ने मेरी पुस्तक का विमोचन किया।

आपको किताब लिखने में कितना समय लगा और पाठकों की प्रतिक्रिया कैसी रही?
लगभग ढाई वर्ष में मैंने ये किताब लिखी। मुझे इस किताब को लिखने के बाद बहुत दुख लगा क्यों कि लोग इसे पढ़ नहीं रहे थे। बिक्री नहीं हुई। मैं इस किताब के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति से पूरे विश्व को अवगत कराना चाहता था। मैं बस अपने में रहता था किसी से बात नहीं करता था। आज भी वो दिन याद करके आंखों से आंसू निकल जाते हैं। मेरा उद्देश्य इस किताब से धन कमाना नहीं बल्कि मैं हमारे पूर्वजों के सपनों को दुनिया तक ले जाना चाहता था।

एक बड़ी असफलता के बाद आपने यूट्यूब चौनल कैसे खोला?
मेरे एक दोस्त ने मुझे यूट्यूब चौनल खोलने का सुझाव दिया। इसी बीच मेरे पुत्र और पुत्री ने मुझे एक लैपटॉप ले कर दिया और मैंने वीडियो अपलोड करना शुरू किया। मैंने बहुत मेहनत की और धीरे-धीरे मेरा चौनल चल गया। मेरा दुख दूर हो गया। अब मैं खुश हूँ। असंख्य लोग मेरे फॉलोवर्स हैं। माता रानी सबका बढ़िया करें।

आपके चैनल का नाम जय प्रिय उत्तराखंड कैसे पड़ा ?
जय मेरा नाम है और प्रिया मेरी बेटी का नाम है। उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि है।

आप किन विषयों पर वीडियो बनाते हैं?
मैं मुख्यतः भजन, संस्कृति, भोजन एवं प्राकृतिक दृश्य से संबंधित वीडियो बनाता हूँ।

आपके कुल सब्सक्राइबर्स कितने हैं?
मेरे 1,49,000 से ऊपर सब्सक्राइबर्स हैं और लगभग 3.6 करोड़ लोग हमारे वीडियो देख चुके हैं। रोज 60 से 70 हजार लोग हमारे चैनल को देखते हैं।

आप यूट्यूब से प्रतिमाह कितना कमाते हैं?
मैं यूट्यूब से 45,000 – 50,000 रुपये प्रतिमाह कमाता हूँ। इस पैसे का 80 प्रतिशत हिस्सा में लोगों की भलाई के कामों पर खर्च करता हूँ।

आज आपको यूट्यूब ने सिल्वर क्रिएटर अवार्ड से भी सम्मानित किया है। इसके बारे में कुछ बताएं?
इसका श्रेय में देश दुनिया के अपने असंख्य मित्रों और बुजुर्गों को दूँगा। मेरी बिखरी हुई जिंदगी को फिर से पटरी पर ला दिया। मैं उन बहनों का भी आभारी हूँ जो चैनल के लिए मेरे साथ काम करती हैं।

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