पपीता स्वास्थ्य के लिए कितना उपयोगी

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कहा जाता है कि अमेरिका के दक्षिणी इलाकों में पैदा होने वाले इस गुणकारी फल को कोलम्बस अपनी द्वितीय यात्रा में पुर्तगाल ले गया था, और वहीं से यह एशिया महाद्वीप में फैल गया।आज यह फल भारत में पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त किए हुए है। पौष्टिक होने के साथ ही पाचक फलों में इसका प्रमुख स्थान है। हमारे देश के विभिन्न प्रांतों में इसकी खेती बहुत होने लगी है।
पपीते के गुण
आयर्वेद विशेषज्ञों ने पपीते कई महत्वपूर्ण गुणों का आधार बताया है। उनके अनुसार कच्चा पपीता कब्जनाशक, कफ और वात को नष्ट करने वाला होता है। अतः पके फल का ही सेवन करना चाहिए। अच्छी तरह पका फल खाने में मधुर, रूचिकर, पित्तनाशक, भारी और स्वादिष्ट होता है।
ज्यों ही आम पकता जाता है इसके विटामिन कम होते जाते हैं। परन्तु पपीते में विटामिन बढ़ते ही जाते हैं। पके पपीते में 68 से 100 मिलीग्राम तक विटामिन ‘सी’ रहता है। पके फल में उचित गुणों की अधिकता के कारण वह पेट के रोगियों के लिए काफी गुणकारी माना जाता है।
पपीते में पेप्सिन नामक पदार्थ की मौजूदगी के कारण यह पाचन शक्ति में वृ(ि कराने तथा मन्दाग्नि को दूर करने की क्षमता रखता है। सूर्य किरणों का भी इस फल पर अद्भुत प्रभाव दिखता है। विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ इसमें काफी होते हैं।
एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि ‘विटामिन ‘ए’ के अभाव में शरीर में रोग के कीटाणु प्रवेश कर जाते है। जिनके कारण निमोनिया, तपेदिक, श्वास एवं दृष्टि रोग हो सकते हैं। विटामिन ‘सी’ न मिने पर स्कर्वी, खून की कमी आदि का भय होता है। पपीता इन विटामिनों से युक्त होने के कारण उपर्युक्त रोगों से रक्षा कर, शरीर को कान्तिमय एवं शक्तिशाली बनाता है। इसमें आयरन होने के कारण इससे खून की वृद्धि होती है तथा फास्फोरस होने के कारण मस्तिष्क एवं वात संस्थान को शक्ति प्राप्त होती है। कैल्शियम होने से यह हड्डियां मजबूत बनाती है। पपीते में कार्बोहाइड्रेट होने से शरीर की गरमी बढ़ती है और प्रोटीन से मांस की वृद्धि होती है।
पपीपे के उपयोग
न केवल फल के रूप में बल्कि अन्य कई तरह से भी पपीते का हमारे घरों में सेवन किया जाता है। कच्चे फल से सूखी सब्जी, रसदार सब्जी तथा रायता एवं अचार बनाया जाता है। अन्य सब्जियों की तरह ही इसको सुखाकर बेमौसम में भी इसकी सब्जी का आनन्द लिया जा सकता है। पपीते की खीर तथा हलवा पौथ्ष्टक और रिूचकारक भौजय पदार्थ भी माने जाते हैं।
कच्चे फल के दूध को एकत्रित करके पापेन के रूप में सुरक्षित किया जाता है। पापेन ऊनह तथा सूती वस्त्रों को सिकुड़ने से भी बचाता है। कई महत्वपूर्ण औषधियों में भी इसे काम में लाया जाता है। आजकल पापेन की मांग अधिक है। विदेशी मुद्रा कमाने का यह महत्वपूर्ण अंग बनता जा रहा है।
पके फल के गूदे को दूध चीनी में घोलकर या नींबू के साथ इसका शरबत बनाकर गरमी में पीने से काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है। यह शरबत सस्ता तो पड़ेगा ही काफी गुणकारी भी रहेगा। अच्छे पके फल के टुकड़े सेब, ककड़ी, संतरा के साथ नमक, काली मिर्च और नीबू या संतरे का रस मिलाकर आप स्वादिष्ट सलाद भी बना सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसके जैम, जैली, तेल तथा सिरके में रचाकर अचार भी बनाया जा सकता है।
पपीते के फल को नियमितरूप से प्रतिदिन खाली पेट खाते रहने से सौंदर्य में निखान आता है। इसका गूदा चेहरे पर प्रतिदिन लगाने से मुंहासें, झाइयां आपदि दूर होकर सुन्दरता निखरती है। इससे त्वचा पर सुकुमारता और कांति आती है। सौंदर्यवृद्धि का यह सस्ता उपाय है।
पपीते का औषधीय प्रयोग

  1. दाद, खुजली तथा अन्य त्वचा रोगों पर कच्चे पपीते का ताजा रस (दूध) कुछ दिन लगातार लगाने से उनसे मुक्ति पा सकते हैं। त्वचा रोगों को जड़ से मिटाने में यह दूध काफी गुणकारी है।
  2. बच्चों के लीवर के बढ़ जाने पर पपीते का रस 5-7 बूंद चीनी के साथ मिलाकर दिन में तीन बार देते रहना चाहिए।
  3. खून की कमी की वजह से अधिकांश स्त्रियों का दूध कम हो जाया करता है। ऐसे रोगियों को ताजे, अच्छे पके हुए पपीते लगातार दस – पन्द्रह दिन तक खिलाने चाहिए। इससे दूध बढ़ेगा और खून की कमी तथा अन्य पेट रोग भी नष्ट होंगे।
  4. लीवर रोगों, पीलिया, वातव्याधि में पपीते का रस 5 से 10 बूंद तक बताशे में रखकर खाना बहुत फायदेमन्द रहता है।
  5. पेट में कीड़े पड़ जाने पर या निरंतर अजीर्ण की स्थिति बने रहने पर पपीते के बीजों का रस अथवा कच्चे पपीते का रस पेट के कीड़े नष्ट करने में बड़ा लाभकारी रहता है।
  6. बवासीर के मस्सों पर कच्चे, ताजे पपीते का रस लगातार कुछ दिन लगाने पर मस्से कट कर गिर जाते हैं और रोगी चंगा हो जाता है।
  7. कच्चे पपीते की सब्जी तथा रायता खोन से अजीर्ण आंतों के रोग और उसके कृमि तुरन्त नष्ट होते हैं।
  8. मन्दाग्नि के रोगियों को पपीते के अधपके फल से दूध इकट्ठा करके औषधि के रूप में पानी में मिलाकर लगातार 10-15 दिन तक लेते रहना चाहिए इससे खुलकर भूख लगने लगेगी।
  9. पेट के रोगियों, तिल्ली की समस्या आदि में खाली पेट अच्छा पका हुआ ताजा पपीता खाना चाहिए। इससे आमाशय और आंते साफ हो जाती हैं और पाचना संस्थान ठीक से काम करने लगता है।
  10. पपीते का हलवा तथा खीर वजन बल बढ़ाने में एक चमत्कारिक औषधि का काम करते हैं। पपीते का फल पचने में हलका और काफी पौष्टिक होता है। जिन्हें कच्चा पपीता खाने में रूचिकर नहीं लगता वे जरा सा सेंधा नमक, काली मिर्च छिड़कर खाएं।
  11. सुखाया और नमकीन पपीता बढ़े हुए लीवर, तिल्ली तथा अन्य पेट के रोगों में फायदेमंद है। इसका शर्बत गरमी जन्य रोगों में अत्यधिक लाभदायक है।
  12. डेंगू बुखार में पपीते के पत्तों का स्वरस, गिलोय का काढ़ा मिलाकर पिलाने से प्लेटलेट्स की संख्या में जल्दी-जल्दी वृद्धि होने लगती है।
    पपीता ऐसा फल है, जिसे हम कई रूपों में काम में ला सकते हैं। इसे खाते रहने से रोगों से बचे रहते हैं। इसके गुण हमारे लिए आवश्यक है। कुछ स्थानों को छोड़कर आज भी पपीता एक सस्ता, सुलभ और लोकप्रिय फल है। हमें इसका अधिक उपयोग करना ही चाहिए।

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