कई बार हमें लगता है कि चक्कर आना, उल्टी आना या फिर मन घबराने का कारण कम रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) या शारीरिक कमजोरी है, जबकि ऐसा नहीं है। डॉक्टरों की मानें तो ये लक्षण माइग्रेन के भी हो सकते हैं। माइग्रेन का मतलब केवल सिर में दर्द होना नहीं, बल्कि इसके लक्षण इतने बारीक होते हैं कि ऊपर-ऊपर से ये शारीरिक कमजोरी या फिर किसी विटामिन की कमी से होने वाली बीमारी जान पड़ते हैं। माइग्रेन को अधकपारी भी कहते हैं। यह एक जटिल विकार है, जिसमें बार-बार मध्यम से तेज सिरदर्द होता है। यह दर्द सिर के किसी खास हिस्से में या फिर पूरे सिर में हो सकता है। यह दर्द महीने में एक बार या हफ्ते में दो बार या फिर साल में एक बार भी हो सकता है। माइग्रेन का दर्द चार घंटे से बहत्तर घंटे तक का हो सकता है। वहीं लंबे समय से पीड़ित मरीजों में आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है। बावजूद इसके, कई लोग माइग्रेन को गंभीरता से नहीं लेते हैं।
लक्षण
माइग्रेन का मुख्य लक्षण सिरदर्द है, लेकिन यह सामान्य रूप से होने वाले
सिरदर्द से काफी अलग होता है। किसी तरह की एलर्जी, प्रकाश और तनाव माइग्रेन
के कारणों में प्रमुख हैं। वहीं कुछ लोगों में माइग्रेन के दौरान जी
मिचलाना, उलटी, हाथ-पैर में झनझनाहट जैसी शिकायतें भी होती हैं। इसमें रक्त
प्रवाह के धीमा हो जाने से मरीज के हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं। वहीं इसका
दर्द तेज रोशनी और आवाज में बढ़ जाता है। आमतौर पर सिर दर्द में दर्द की दवा
लेने के बाद थोड़ी देर में आराम मिल जाता है, जबकि इसका दर्द कम से कम चार
घंटे या अधिकतम बहत्तर घंटे तक रह सकता है। माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति नींद
न आने की समस्या से भी ग्रसित हो सकता है।
तनाव है सबसे बड़ा कारण
अमेरिकी माइग्रेन एसोसिएशन के अनुसार, करीब साढ़े छह करोड़ अमेरिकी माइग्रेन
से पीड़ित हैं। अध्ययन बताते हैं कि इस बीमारी से महिलाएं ज्यादा पीड़ित रहती
हैं। वहीं ऐसा नहीं कि यह बीमारी किसी खास उम्र वालों को होती है। आज इसकी
चपेट में स्कूली बच्चों से लेकर घर में काम करने वाली महिलाएं भी हैं।
माइग्रेन की शुरुआत बचपन, किशोरावस्था या वयस्क होने पर कभी भी हो सकती है।
ज्यादातर लोगों को पंद्रह से पचपन साल की उम्र में माइग्रेन का सिरदर्द
होने लगता है। डॉक्टरों के मुताबिक इसका सबसे बड़ा कारण भागदौड़ भरी जिंदगी
और इससे उत्पन्न हुए तनाव और खराब दिनचर्या है। हालांकि इस बीमारी का कोई
खास कारण नहीं होता, वहीं इसके होने में जेनेटिक और पर्यावरणीय कारकों की
भूमिका मानी जाती है।
एहतियाती उपाय
वर्तमान में माइग्रेन का कोई अचूक इलाज नहीं है। इसके उपचार में जीवनशैली
में परिवर्तन शामिल हैं, जो माइग्रेन को कम करने में मदद कर सकता है।
’ भरपूर नींद लें।
’ तनाव को कम करें।
’ ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
’ आहार में सुधार करें।
’ संतुलित दिनचर्या का पालन करें। समय पर सोएं और समय पर उठें।
’ नियमित रूप से व्यायाम करें या फिर सुबह की सैर पर जाएं।
’ दर्दनिवारक दवाओं का कम से कम इस्तेमाल करें।
कुछ चीजों को ना कहना सीखें
’ खाने-पीने की कुछ चीजें जैसे कि पुराना पनीर, शराब और खाद्य योजक जैसे
नाइट्रेट्स (पेपरोनी, हॉट डॉग, लंचमेट्स) और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी)
तीस फीसद तक माइग्रेन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, इसलिए ऐसी चीजों का
ना कहना सीखें।
’ अत्यधिक मात्रा में कैफीन के सेवन से भी सिर दर्द की समस्या होती है।
’ काम के चक्कर में या फिर अन्य कारणों से ज्यादातर लोग खाना समय पर नहीं
खातें या फिर खाते भी हैं तो दोपहर का भोजन करते हैं, तो रात का खाना नहीं
और रात का खाना खाते हैं तो दोपहर का खाना नहीं। अगर आप भी खाना खाने को
ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं मानते तो इस आदत को बदल डालें, क्योंकि ये आदतें
भी माइग्रेन के लिए जिम्मेदारी होती हैं।


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