समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में तेजी से हो रहे डेमोग्राफिक परिवर्तन को लेकर राज्य सरकार लगातार कड़े कदम उठा रही है। बाहरी आबादी के दबाव, फर्जी दस्तावेजों और अवैध बस्तियों के मामलों के बढ़ने के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान चलाने का फैसला किया है।
प्रदेश के कई जिलों में राशन कार्ड धारकों, स्थायी निवास प्रमाण पत्रों और अन्य पहचान पत्रों की विस्तृत जांच की जा रही है। साथ ही, उत्तर प्रदेश की सीमा से जुड़े इलाकों में रहने वाले लोगों के दोहरे वोटर आईडी बनाए जाने की शिकायतों पर भी सघन सत्यापन शुरू किया गया है।
डेमोग्राफिक बदलाव पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने पहले चरण में सख्त भू-कानून लागू किए। इसके बाद कालनेमि अभियान चलाया गया, जिसके तहत फर्जी दस्तावेज़ों और अवैध निर्माणों की पहचान की गई। हाल ही में कैबिनेट बैठक में ‘देवभूमि परिवार योजना’ को भी मंजूरी दे दी गई है, जो जनसंख्या संरचना में हो रहे बदलावों की निगरानी में अहम भूमिका निभाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि “उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बदलने नहीं दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि जहां-जहां डेमोग्राफिक असंतुलन दिख रहा है, वहां प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करेगा।
सत्यापन अभियान के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे मामलों के सामने आने की जानकारी है, जहाँ पात्र न होने के बावजूद लोगों को राशन कार्ड जारी किए गए, बिजली कनेक्शन गलत तरीके से मंजूर हुए। फर्जी आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र बनवाए गए। इन सभी मामलों की जांच तेज कर दी गई है। जिन अधिकारियों या लोगों ने अपात्र व्यक्तियों को पात्र श्रेणी में शामिल किया, उन पर भी कार्रवाई का आदेश दिया गया है।
सीएम धामी ने बताया कि यूपी सीमा से सटे जिलों उधमसिंह नगर, चंपावत, नैनीताल, हरिद्वार, देहरादून और पौड़ीमें कुछ लोगों के दो-दो जगहों पर मतदाता पहचान पत्र होने की शिकायतें मिली हैं। ऐसे सभी मामलों का सत्यापन किया जा रहा है।
शहरी इलाकों में बाहरी आबादी के बढ़ते दवाब से राज्य की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक ढांचा और संसाधन प्रभावित हो रहे हैं। इसी वजह से सरकार ने साफ किया है कि डेमोग्राफिक चेंज पर रोक लगाना अब शीर्ष प्राथमिकता है।

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