आस्था व संस्कारों से माटी का नाम रोशन करेंगे कपिल
देवभूमि से विभूषित उत्तराखण्ड में अनेक मनीषी हुए हैं, जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय जगत में राज्य को नई पहचान दिलायी है। इनमें से कुछ संघर्षरत चेहरे ऐसे भी हैं, जो अपनी काबिलियत के बल पर अपनी माटी का नाम रोशन करना चाहते हैं। इनमें से एक बाल व्यास कपिलदेव महाराज हैं, जो व्यास/उपदेशक के रूप में अपनी छाप छोड़ने को आतुर हैं। वे व्यास के रूप में विभिन्न ग्रंथों का पाठ कर उत्तराखण्ड का नाम रोशन करना चाहते हैं, वहीं संस्कृत भाषा को भी गौरवान्वित करना चाहते हैं। वहीं पलायन, नशा, बेरोजगारी आदि पर भी भविष्य में कार्य करने की इच्छा रखते हैं। उनसे उनकी भावी योजनाओं के बारे में समाचार सच वेब पोर्टल के सम्पादक अजय सिंह चौहान और सहायक सम्पादक धीरज भट्ट से विस्तृत बातचीत हुई। पेश है बातचीत के मुख्य अंश:
प्र0 – आप उत्तराखण्ड में किस जिले के निवासी हैं ?
कपिल देव महाराज – मैं अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लॉक स्थित तलचौना गांव का निवासी हूं। इस क्षेत्र में महोदेव का पवित्र धाम जागेश्वर भी स्थित है। हमारे आराध्य देव झांकरसैम हैं।
प्र0- अपने बचपन काल के बारे में कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डालिए।
कपिल देव महाराज – चूंकि हमारे घर में पठन-पाठन का माहौल रहा है, इसलिए मेरी रूचि में पढ़ने – लिखने में रही। मैं उच्च शिक्षा हासिल करना चाहता था और मैंने मास्टर डिग्री हासिल की।
प्र0-आपने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की है।
कपिल देव महाराज –मैं बारहवीं तक विज्ञान वर्ग का छात्र रहा हूं। मैंने सरस्वती शिशु मन्दिर रूद्रपुर से इण्टर की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात स्नातक व स्नातकोत्तर मैंने संस्कृत साहित्य से एमबीपीजी कालेज, हल्द्वानी से उत्तीर्ण की। यहां पर संस्कृत के आचार्य डॉ. विनय विद्यालंकार व डॉ. कमला पंत के सानिध्य में मुझे संस्कृत सीखने का विशद अनुभव प्राप्त हुआ।
प्र0 – जीवन में आध्यात्म के प्रति आपका कब झुकाव हुआ?
कपिल देव महाराज – मुझे बचपन से ही आध्यात्म व संस्कृत के प्रति गहरा अनुराग रहा। संतों को देखकर और सुनकर मेरे मन में भी आध्यात्म के प्रति प्रेम और प्रंगाढ़ होता गया। मैं इनसे प्रेरित होकर इनकी तरह बनने की सोचने लगा। धीरे-धीरे ये प्रयास रंग लाये और मैं मेहनत के बल पर इस मुकाम पर पहुंचा हूं।
प्र0 – अभी तक किन-किन संतों से आप प्रभावित रहे ?
कपिल देव महाराज – अभी तक अनेक संतों को सुना है और देखा है। विशेषकर पूज्यपाद धर्मदीप महामण्डलेश्वर महाराज और पूज्य स्वामी नयनदास महाराज से मैं प्रभावित रहा। इसके अलावा परमश्रद्धेय मृदुल कृष्ण स्वामी ने भी मेरे जीवन यात्रा पर प्रभाव डाला।
प्र0- अब तक आपको कितनी कथाएं कराने का सुअवसर मिला है और पहली बार कथा वाचन शुरूआत कब की ?
कपिल देव महाराज – मैंने अभी तक 24 कथाएं पूर्ण की है जिनमें श्रीमद्भागवत कथा, देवी भागवत पुराण, श्री शिवमहापुराण, रामकथा शामिल है। मुझे पहली बार 19 वर्ष की उम्र में तारकेश्वर मन्दिर में भागवत गीता की कथा का सुअवसर मिला। इसके बाद से अभी तक मेरी यात्रा अविरल जारी है।
प्र0 – अभी तक कथा प्रवचन के दौरान कोई अविस्मरणीय पल के बारे में बताइए।
कपिल देव महाराज – काठगोदाम में पूर्व पार्षद मोहन सिंह बिष्ट के घर पर भागवत कथा के दौरान सातवें दिन मूसलाधार वर्षा हुई लेकिन कथा के अनेक प्रसंगो ने ऐसा समां बांधा कि श्रद्धालु इस दौरान भावमग्न होकर सुनते रहे और कथा व भजनों से भावविभोर हो गये।
प्र0- समाज सेवा में भी आप सक्रिय है। अभी तक क्या कार्य आपने किये हैं?
कपिल देव महाराज – समाज सेवा के क्षेत्र में मेरी रूचि बचपन से हो रही है। मेरा असहाय, गरीब व निर्धन कन्याओं की सहायता करने का लक्ष्य रहता है। अभी तक मैं नन्दपुर व रामड़ी के प्राइमरी विद्यालयों में निर्धन व कथाओं को स्वेटर व पाठ्य सामग्री बांट चुका हूं। भविष्य में भी प्रयास जारी रहेंगे।
प्र0 – अपनी भविष्य की योजनाओं के बारें में कुछ बताइये ?
कपिल देव महाराज – मैं आशावादी हूं, और भविष्य की योजनाओं को उसी दृष्टि से तय करता हूं। सर्वप्रथम मैं 50 कथाएं पूर्ण होते ही भागवत सेवा दल का गठन करूंगा, जो देवभूमि व देश में समाज सेवा एवं संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार का कार्य करेंगी। साथ ही युवाओं को नशा मुक्ति से दूर रहने का संदेश दिया जायेगा। इसके अलावा संगठन के माध्यम से रोजगार का सृजन कर पलायन पर रोक लगाना मेरी प्राथमिकता है। मैं कल्याणिका आश्रम डोल के महाराज पं. कल्याण दास व राज्य के उन तमाम संतों व व्यासों से अपील करता हूं कि वे मुझे आगे बढ़ाने में मेरी मदद करें जिससे मैं देश को गौरवान्वित कर सकूं।
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