कार्तिक पूर्णिमा 2024: जानें महत्त्व, स्नान-दान मुहूर्त और पूजा विधि

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला कार्तिक पूर्णिमा पर्व इस बार 15 नवंबर, शुक्रवार को आ रहा है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्त्व होता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के पापों का नाश होता है। इस अवसर पर भगवान सत्यनारायण और भगवान शिव की पूजा का विधान भी है, और इस दिन देव दीपावली का भी आयोजन होता है।

कार्तिक पूर्णिमा तिथि और समय
इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 15 नवंबर को सुबह 6:19 बजे हो रहा है और इसका समापन 16 नवंबर की तड़के 2:58 बजे होगा। उदयातिथि के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर, शुक्रवार को ही मानी जाएगी।

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कार्तिक पूर्णिमा स्नान-दान मुहूर्त
पर्व के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्त्व है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:58 बजे से 5:51 बजे तक रहेगा। यदि यह संभव न हो, तो सूर्योदय के बाद स्नान कर सकते हैं। गंगा स्नान का अवसर न होने पर गंगाजल को पानी में मिलाकर घर पर ही स्नान करें।

स्नान के बाद अन्न, वस्त्र, फल, और जरूरतमंदों को दान देना उत्तम माना गया है। चंद्रमा के शुभ प्रभाव के लिए चावल, दूध, शक्कर, चांदी, सफेद वस्त्र, सफेद मोती, और सफेद चंदन का दान करें।

अन्य महत्त्वपूर्ण समय
15 नवंबर को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:44 बजे से 12:27 बजे तक है। भरणी नक्षत्र 9:55 बजे रात तक रहेगा, उसके बाद कृत्तिका नक्षत्र आरंभ होगा। पूर्णिमा की रात चंद्रोदय का समय शाम 4:51 बजे है।

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कार्तिक पूर्णिमा का पौराणिक महत्त्व
कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध कर देवताओं को भय से मुक्त किया था। इस उपलक्ष्य में सभी देवताओं ने काशी में दीप जलाकर उत्सव मनाया था, जिसे देव दीपावली के रूप में जाना जाता है। इस दिन देवी-देवता भी काशी में भगवान शिव की पूजा करते हैं।

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इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा पर्व श्रद्धालुओं के लिए पुण्य और धर्म का अद्भुत संगम है, जिसे स्नान, दान, और पूजा के साथ मनाकर वे अपनी आस्था और धार्मिकता को प्रकट करते हैं।

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