समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। शास्त्रानुसार देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक चार माह विवाह का निषेध होता है किंतु केवल इन चार महीनों में ही विवाह का निषेध नहीं होता अपितु गुरु-शुक्रास्त, खरमास, होलिकाष्टक एवं पौष मास की अवधि में भी विवाह वर्जित होता है।

इस वर्ष देवप्रबोधिनी एकादशी दिनांक 23 नवंबर 2023 को मनाई गई। अतः लोकमान्यतानुसार इस दिन से विवाह होना प्रारंभ हो गए, किंतु 16 दिसंबर 2023 से धनु संक्रांति (मलमास/खरमास) होने के कारण पुनरू विवाह मुहूर्त का निषेध रहेगा, क्योंकि दिनांक 16 दिसंबर 2023, दिन शनिवार से मलमास/खरमास का प्रारंभ हो जाएगा जो 14 जनवरी 2024 तक रहेगा।
इस अवधि के अतिरिक्त दिनांक 27 दिसंबर से 2023, दिन बुधवार से पौष मास का प्रारंभ होगा जो दिनांक 25 जनवरी 2024 तक रहेगा। पौष मास में भी विवाह मुहूर्त का निषेध होता है।
अतः देवप्रबोधिनी एकादशी से 16 दिसंबर 2023 तक ही विवाह मुहूर्त बनेंगे तत्पश्चात मलमास एवं खरमास की अवधि बीत जाने के उपरांत दिनांक 25 जनवरी 2024 के बाद ही शुभ विवाह मुहूर्त बनेंगे। अतरू ज्योतिष शास्त्रानुसार 16 दिसंबर 2023 से 25 जनवरी 2024 की अवधि में विवाह मुहूर्त वर्जित रहेंगे। (साभार: ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया, प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र)



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