जानिए भगवत गीता के अनुसार निर्णय लेने के 10 नियम

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-गीता जंयती इस साल 2019 में 8 दिसंबर 2019

समाचार सच। भगवत गीता ने केवल एक ग्रंथ है। बल्कि यह जीवन जीने के सही ढंग को भी सीखाती है। विद्वानों के अनुसार भगवत गीता को जीवन का सार माना जाता है। भगवत गीता में यह भी बताया गया है कि मनुष्य को अपने जीवन में कब निर्णय लेने चाहिए और कब नहीं। गीता जंयती इस साल 2019 में 8 दिसंबर 2019 के दिन पड़ रही है तो जानिए भगवत गीता के अनुसार निर्णय लेने के 10 नियम-

  1. आपको अपने जीवन में कोई भी निर्णय तब नहीं लेना चाहिए जब आप बहुत ज्यादा खुश हैं या फिर बहुत ज्यादा दुखी हैं। क्योंकि ज्यादा खुश और ज्यादा दुखी होने पर लिया गया फैसला अक्सर गलत ही साबित होता है और इस निर्णय को लेने पर आपको जीवन में पछताना पड़ सकता है।
  2. आपको जीवन में कभी भी कोई भी निर्णय क्रोध या मोह में भी नहीं लेना चाहिए। क्योंकि क्रोध में लिया गया निर्णय आपको अपनों से हमेशा के लिए दूर कर सकता है। वहीं मोह में लिए निर्णय के कारण आपको जीवन में सब कुछ खोना भी पड़ सकता है। इसलिए कभी भी क्रोध और मोह में कोई भी निर्णय न लें।
  3. भगवत गीता के अनुसार आपको कर्म करना चाहिए और फल की इच्छा को त्याग देना चाहिए। क्योंकि कई बार हम फल की इच्छा से कर्म न करने का निर्णय ले लेते हैं। जिसके कारण हम अपने अच्छे कर्मों से भी दूर हो जाते हैं। इसलिए हमेशा फल इच्छा से कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए।
  4. बदलाव से डरकर कभी भी निर्णय न बदलें क्योंकि भगवत गीता के अनुसार जीवन में बदलाव तो आना ही है। यदि आप बदलाव से डरेंगे तो आप कभी भी सफलता नहीं हासिल कर सकते । इसलिए जीवन में कभी भी कैसी भी परिस्थिति आए अपने निर्णय पर कायम रहें।
  5. विश्वास करके ही निर्णय लें। बिना विश्वास के लिया गया निर्णय आपको हमेशा ही असमंजस में डाले रखेगा। जिसके अनुसार आप ज्यादा समय तक अपने उस निर्णय पर कायम नहीं रह पाएंगे और आप बार- बार अपने निर्णय को बदल सकते हैं। इसलिए जब भी निर्णय लें अपने निर्णय पर विश्वास रखें।
  6. भगवत गीता के अनुसार जो भी निर्णय एक महान व्यक्ति लेता है। उसे सभी लोग मानते हैं। जिसके अनुसार हम भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि एक महान व्यक्ति वही है जो समय पर निर्णय लें। उसके इस निर्णय को आगे चलकर सभी लोग मानते हैं। इसलिए एक महान व्यक्ति और आम व्यक्ति के निर्णय लेने में बहुत अंतर होता है।
  7. भगवत गीता के अनुसार जो निर्णय समाज के लिए अच्छा नहीं है। वह आपके लिए अच्छा हो ही नहीं सकता है। यदि आप कोई ऐसा काम कर रहे हैं। जिसमें आपको फायदा दिख रहा है और दूसरे लोगों का नुकसान हो रहा है तो आपको ऐसा काम करने का निर्णय त्याग देना चाहिए।
  8. भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जो भी व्यक्ति भगवान में विश्वास रखता है। वह सदैव सुखी रहता है। इसलिए किसी भी निर्णय लेने से पहले भगवान पर विश्वास अवश्य रखें और उनका शुक्रिया अदा किजिए।
  9. भगवत गीता के अनुसार कोई भी निर्णय लेने से पहले यदि आप असमंजस में हैं तो आप अपने परिवार और शुभ चिंतकों से उस निर्णय के बारे में अवश्य सलाह करें। क्योंकि सलाह लेने से आप उस निर्णय को लेने में असर्थता व्यक्त नहीं करेंगे और आसानी से उस निर्णय को ले सकते हैं।
  10. भगवत गीता के अनुसार किसी भी निर्णय को अपने मन की मर्जी के अनुसार नहीं लेना चाहिए। क्योंकि मनुष्य का मन कई बार बदलता रहता है। जिसके अनुसार उसके निर्णय भी बदलते रहते हैं। इसलिए निर्णय लेते समय कभी भी मन की मर्जी के अनुसार निर्णय नहीं लेना चाहिए।

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