समाचार सच, नई दिल्ली। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन देश में तीसरी लहर ला सकता है। इसकी वजह इसका ज्यादा संक्रामक और ताकतवर होना है। देश के एक टॉप साइंटिस्ट ने शुक्रवार को यह चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन में वे सभी एलिमेंट्स हैं, जिनकी वजह से तीसरी लहर आ सकती है। इधर ओमिक्रॉन के बारे में हाल में भी समाचार पत्र दैनिक भाष्कर ने लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के डायरेक्टर प्रो. आरके धीमन से बात की थी। उन्होंने भी आशंका जताई थी कि यह वैरिएंट तीसरी लहर का कारण बन सकता है। इसीलिए हमें लापरवाही नही बरतनी चाहिए।
सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के डायरेक्टर अनुराग अग्रवाल ने कहा कि इस वैरिएंट में शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को धोखा देने की खूबी मौजूद है। यह अब तक मिले पिछले वैरिएंट्स में नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की इम्यूनिटी बेहतर है और वे वैक्सीनेटेड भी हैं तो ऐसे लोगों में हाइब्रिड इम्यूनिटी पाई जाती है। हमारे देश में ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा है।
ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले 5 गुना तक संक्रामक
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का पहला केस 24 नवंबर 2021 को साउथ अफ्रीका में मिला था। पहचाने जाने के सिर्फ दो दिन में ही डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया था। इसकी वजह इसका ज्यादा संक्रामक होना और इसके स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा बार म्यूटेशन होना था। भारत सरकार भी कह चुकी है कि ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले 5 गुना तक संक्रामक है।
ओमिक्रॉन के बारे में दक्षिण अफ्रीका की रिसर्च
- संक्रमित पाए गए लोगों को बदन दर्द, तेज सिरदर्द और थकान की शिकायत।
- किसी में गंध और स्वाद चले जाने, नाक बंद होने या बुखार की शिकायत नहीं देखी गई।
- डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन के लक्षण अलग और हल्के हैं।
- ओमिक्रॉन वैरिएंट आरटी-पीसीआर टेस्ट में पकड़ में आता है।
आपकों बता दें कि भारत में अब तक ओमिक्रॉन से संक्रमित दो मरीज मिले हैं। इनमें एक की उम्र 66 साल और दूसरे की 46 साल है। दोनों केस कर्नाटक में मिले हैं। इनके संपर्क में आए लोगों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। पिछले एक महीने में हजारों लोग एट रिस्क वाले देशों से लौटे हैं। सरकार ने एट रिस्क कैटेगरी में उन देशों को शामिल किया है, जहां नया वैरिएंट मिला है।
इससे पहले डॉ. अनुराग अग्रवाल ने ही डेल्टा$ वैरिएंट के बारे में भी सटीक भविष्यवाणी की थी। जब देश में डेल्टा$ वैरिएंट को लेकर खौफ का माहौल था, तब डॉ. अनुराग ने ही कहा था कि यह तीसरी लहर की वजह नहीं बनेगा। उन्होंने कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं है, जिससे माना जाए कि डेल्टा$ का कोरोना की संभावित तीसरी लहर से कोई लेना-देना है। डेल्टा$ वैरिएंट भारत में ही मिले डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन से बना था। डेल्टा वैरिएंट की वजह से ही भारत में भयानक दूसरी लहर आई थी।
यह बात उन्होंने अपने इंस्टीट्यूट में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आए सैंपल के डेटा के आधार पर कही थी। उस वक्त जून में महाराष्ट्र से लिए गए 3500 से ज्यादा सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई थी। इसमें अप्रैल और मई के सैंपल्स भी थे। इन सैंपल में डेल्टा$ वैरिएंट के मामले बहुत ज्यादा थे। यह वैरिएंट सबसे पहले मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मिला था। इसके कुछ केस केरल में भी मिले थे।
(साभार-दैनिक भाष्कर)


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