समाचार सच, हल्द्वानी। कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता है एक पत्थर तो तव्यत से उछालो यारो
इस बात को चरितार्थ किया है हल्द्वानी के प्रसिद्ध नर्सिंग होम के स्वामी डॉ.जोगेन्द्र सिंह खुराना ने। उनकी मेहनत से आज हल्द्वानी में कृृष्णा नर्सिंग होम ट्रस्ट व भरोसे का प्रतीक बनकर उभरा है।
विदित हो कि कृृष्णा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर हल्द्वानी में 26 जनवरी 1988 को गुरूनानकपुरा में धार्मिक समारोह का आयोजन कर इसकी शुरूआत की गई थी। अस्पताल शुरू करने के पहले ही दिन खुराना दंपति (डा. जोगेन्द्र खुराना और उनकी पत्नी डा. रविंदरजीत सिंह ने प्रयास करना शुरू किया। आर्थिक संसाधनों की कमी के चलते उनके पास टेबल के लिए तक पैसे नहीं थे। हड्डी रोग और कूल्हे की रिप्लेसमेंट में दक्षता होने के कारण उनका व्यवसाय चल पड़ा। देखते ही देखते उनका अस्पताल हल्द्वानी व आसपास के इलाके में प्रसिद्ध हो गया।
इसके साथ-साथ उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ भी आ पड़ा। पहले बेटी पवलीन का जन्म और फिर उनके पिता डा. रामसिंह की बीमारी। इधर 6 दिसंबर 1989 को उनके प्रेरणास्रोत व पिताजी डा. रामसिंह का देहान्त हो गया।
इधर डा. जोगेन्द्र खुराना के कार्यों का फल धीरे-धीरे साकार होने लगा। साल 1989 में डा. खुराना ने कृष्णा अस्पताला का विस्तार किया और उसमें बेडों की संख्या 12 हो गई। चार साल बाद उन्होंने एक और घर खरीदा, इसमें 13 बेडों का निर्माण किया। मार्च 1996 में उनके अस्पताल में बेडों की संख्या 23 हो गई।
साल 1999 में उनकी जिंदगी में एक एक्सीडेंट के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि हल्द्वानी में एक मल्टी स्पेशएलिटी अस्पताल की जरूरत है। इसे साकार करने के लिए साल 2000 में उन्होंने कृष्णा अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग की शुरूआत की। वर्ष 2008 में उन्होंने सीटी स्कैन मशीन भी अस्पताल में शिफ्ट कर दी। 2001 में उन्होंने कृष्णा अस्पताल में लेप्रोसकोपिक की शुरूआत की। इसी वर्ष उन्होंने एक मकान और खरीदा और उनके अस्पताल में बेडों की संख्या 40 तक पहुंच गई।
इधर उन्होंने हल्द्वानी में कैंसर अस्पताल बनाने के लिए भी जमीन खरीदी और अभी उसपर निर्माण होना बाकीं है। इधर 2008 में डा. खुराना ने सीसीयू व नए आपरेशन थिएटर की शुरूआत की। 2012 उन्होंने अस्पताल में कैथ लैब बनाई और एमआरआई मशीन खरीदी। साथ ही चार आधुनिक आपरेशन थिएटर भी तैयार किये।
सपने को साकार किया खुराना ने
डा. जोगेन्द्र सिंह खुराना ने अपनी दृढ़ मेहनत के कारण हर सपने को साकार किया है। जानकार बताते हैं कि वे जो ठान लेते हैं, उसको पूरा करके ही छोड़ते हैं। उनके मेहनत का ही परिणाम है कि आज सिर्फ हल्द्वानी ही नहीं वरन उत्तराखंड में भी खुराना का नाम सम्मान के कारण लिया जाता है। उन्हें इस बात का संतोश है कि आने वाले समय में उन सपनों को भी पूरा कर पायेंगे जो किसी कारणवश अधूरे रह गए हैं।
एक ही छत की नीचे सारी सुविधाएं
कृष्णा अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं सहित सारे गंभीर बीमारियों का इलाज उपलब्ध है।
ये अस्पताल उन चंद अस्पतालों में शामिल है, जहां न्यूरोसर्जरी की सुविधा हल्द्वानी में सबसे पहले आई थी। इसके साथ ही डा. खुराना एक अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल खोलने के लिए भी प्रयासरत हैं। हल्द्वानी या आसपास कैंसर का इलाज नहीं हो पाने के कारण वे इस दिशा में लगे हुए हैं। संभावनाएं हैं कि देर-सबेर उनके सपने साकार होने में देर नहीं लगेगी।
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