आइए जानते हैं कुंडली के द्वितीय भाव में राहु हो तो क्या फल देता है

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। वैदिक ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों में राहु को विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र में वैसे तो राहु को एक क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गई है, पर माना जाता है कि जिस भी जातक पर राहु की कृपा हो जाए वो उसे रंक से राजा बना सकते हैं। हर ग्रह किस घर में होता है वो क्या फल देते हैं अपने – अपने घर में, आइए जानते हैं कुंडली के द्वितीय भाव में राहु के फल।

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द्वितीय भाव में स्थित राहु का फल
वैदिक ज्योतिष में कुंडली के द्वितीय भाव को धन भाव भी कहा जाता है। इस भाव से जातक की आर्थिक स्थिति, उसे प्राप्त होने वाले परिवार का सुख, वाणी, जीभी, खाना पीना और संपत्ति के बारे में भी जाना जा सकता है। आइए जानते हैं राहू के दूसरे भाव में होने के प्रभाव।

कुंडली के दूसरे भाव में राहु जातक को शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करते हैं। माना जाता है कि ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है और उन्हें राजा या सरकार के द्वारा धन की प्राप्ति होती है। धन भाव में स्थित राहु जातक को व्यवहार कुशल भी बनाता है और लोग ऐसे जातकों पर आराम से भरोसा कर लेते हैं ये अलग बात है कि ये किसी के विश्वास पर खरे उतरे या न उतरे। ऐसे जातकों की ठोड़ी पर किसी न किसी प्रकार का निशान होता है और ऐसे जातकों की नाक सामन्यता लम्बी होती है।

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द्वितीय भाव में स्थित राहु जातक को सभी प्रकार का सुख प्रदान करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में गौरव और आदर प्राप्त करते हैं और उन्हें विदेशों से भी धन की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि यहां स्थित राहु जातक को विदेशों से धन कमाने के बहुत मौके प्रदान करता है और जातक को जीवनकाल में देश और विदेशों में घूमने के बहुत मौके प्राप्त होते हैं। ऐसे जातक अपने शत्रुओं को आराम से परास्त कर लेते हैं।

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दूसरे भाव में राहु होने से जातक की संतान की संख्या सामान्यता कम ही होती है और यहां स्थित राहु व्यक्ति के कामों में किसी न किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करता रहता है। ऐसे जातकों की वाणी में किसी न किसी प्रकार के दोष होने की भी संभावना होती है। ऐसे जातक मांस मदिरा या किसी प्रकार के नशे के शौकीन भी हो सकते हैं। माना जाता है द्वितीय भाव में अशुभ राहु कई बार पैतृक संपदा का विनाश का कारण भी हो सकते हैं।

द्वितीय भाव में राहु कई बार जातक को बहुत खर्चीला भी बनाता है और व्यक्ति बेमतलब के कार्यों पर धन को बरबाद करता है।

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