नैनीताल में फर्जी दस्तावेज़ घोटाले की बड़ी जांच शुरू, 900 से अधिक राशन कार्ड और 2,000 प्रमाण पत्रों की स्कैनिंग जारी

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समाचार सच, हल्द्वानी। नैनीताल जिले में फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर स्थायी निवास और अन्य सरकारी प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में प्रशासन ने व्यापक जांच शुरू कर दी है। जिले की सभी तहसीलों में पिछले पांच वर्षों में जारी किए गए प्रमाण पत्रों की स्कैनिंग चल रही है। अब तक लगभग 2,000 प्रमाण पत्रों की जांच पूरी की जा चुकी है। इसके साथ ही प्रशासन ने राशन कार्डों को भी जांच के दायरे में शामिल किया है, जिनमें 900 से अधिक कार्ड संदिग्ध पाए गए हैं।

फर्जी दस्तावेजों से स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी होने का मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर यह कार्रवाई की जा रही है। सभी तहसीलों में एसडीएम की टीम लगातार प्रमाण पत्रों को सत्यापित कर रही है। जांच में अब तक 48 स्थायी निवास प्रमाण पत्र निरस्तीकरण के दायरे में, 12 प्रमाण पत्र री-चेक में और 60 प्रमाण पत्रों में गंभीर विसंगतियां पाई गई हैं।

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एडीएम विवेक राय ने बताया कि राशन कार्डों की जांच में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। कई व्यक्तियों ने गलत तरीके से राशन कार्ड बनवाकर असल पात्रों को उनके हक से वंचित किया है। ऐसे कार्डों को निरस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड तककृसभी दस्तावेज़ों के दुरुपयोग पर प्रशासन सख्ती से नजर रख रहा है।

इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की जांच में हल्द्वानी तहसील में फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर स्थायी निवास बनाए जाने की शिकायत सही पाई गई। नवंबर में जनता दरबार में मिली शिकायत के बाद की गई गोपनीय जांच में मालूम हुआ कि बरेली से आए एक व्यक्ति के नाम पर सिर्फ दो महीने के भीतर फर्जी दस्तावेज़ों से स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना दिया गया था।

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इसके बाद 13 नवंबर को बनभूलपुरा क्षेत्र के एक कॉमन सर्विस सेंटर (ब्ैब्) पर छापेमारी की गई, जहां कई संदिग्ध दस्तावेज़ मिले। जांच में अरायजनवीस फैजान, कथित लाभार्थी लईक और यूपीसीएल के एक कर्मचारी की संलिप्तता सामने आने के बाद तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

मामले के उजागर होने के बाद जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने पूरे जिले में पिछले पांच वर्षों में जारी सभी प्रमाण पत्रों की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं।

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