समाचार सच, हल्द्वानी। विधायक हल्द्वानी सुमित हृदयेश ने राज्यपाल के अभिभाषण सवाल खड़े करते हुए कहा कि अभिभाषण में बेरोजगारी और महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दे गायब रहे। साथ ही उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर विधायकों के नियमविरुद्ध निलंबन का भी आरोप लगाया हैं।
विधानसभा सत्र से लौटने के बाद शनिवार को विधायक सुमित हृदयेश यहां नैनीताल मार्ग स्थित एक निजी होटल के सभागार में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अभिभाषण सरकार का दृष्टिपत्र होता है। परन्तु उक्त अभिभाषण में पेपर लीक, अग्निवीर भर्ती, पुरानी पेंशन, महंगाई और बेरोजगारी जैसी ज्वलंत मुद्दे ही नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनकी कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार के दृष्टिपत्र से जरा भी संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने सरकार के बजट पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत बजट 76 हजार 592 करोड़ 54 लाख का रहा। पिछले साल की अपेक्षा इस बजट में 18.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह बजट यह बताता है कि राज्य पर कर्ज का कितना अधिक बोझ है फिलहाल राज्य को 6161 करोड़ का ब्याज देना पड़ रहा है। एक पर्यटन प्रधान प्रदेश में पर्यटन का बजट 302 करोड़ का नाकाफी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास निगम को मात्र 63 करोड़ का बजट देना बताता है कि वर्तमान सरकार प्रदेश में पर्यटन को विकसित करने की कितनी इच्छुक है।
विधायक सुमित ने कहा कि पलायन आयोग की रिपोर्ट कहती है की उत्तराखंड में 6000 गांव ऐसे हैं जो कि सड़क विहीन हैं यानी 6000 से अधिक गांव में तक सड़क नहीं है वहीं दूसरी ओर पलायन आयोग की रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि 230 लोग हर 24 घंटे में पर्वतीय अंचलों से मैदानी इलाकों में पलायन कर रहे हैं ऐसे में जो तमाम योजनाएं सरकार के द्वारा घोषित की गई हैं कहीं ऐसा ना हो कि जब तक वह जमीन पर उतरें तब तक पूरा उत्तराखंड ही खाली हो जाय। उनका कहना था कि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। वसूली टारगेट के अनुसार नहीं हो पा रही है और इसीलिए राजकीय कोष यानी खजाना खाली है। उन्होंने इस बजट को आगामी चुनाव के मद्देनजर लोकलुभावन बजट बताया।
विधायक सुमित ने कहा कि उद्यान विभाग में स्वरोजगार की संभावनाएं जताई गई हैं, हॉर्टिकल्चर फ्लोरीकल्चर इत्यादि में 813 करोड़ का बजट तो रखा गया है परंतु यदि प्रदेश के युवाओं को ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी तो कैसे स्वरोजगार के रास्ते खुलेंगे पता नहीं। नई नई खेती और नई नई टेक्निक के लिए युवाओं की ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग को 461 करोड का जो बजट मिला है उसके सापेक्ष यह चिंतन करने की जरूरत है कि उद्योग लगने के बाद प्रदेश के युवा कितना लाभान्वित हुए? उनको रोजगार कितना मिला? जो उद्योग यहां इन्वेस्ट कर रहे हैं उनको प्रदेश सरकार की ओर से क्या सुविधाएं दी जा रही हैं और बदले में वह प्रदेश के युवाओं को कितना रोजगार दे रहे हैं यह मायने रखता है? यदि इन उद्योगों से प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिल रहा होता तो प्रदेश का युवा आज सड़कों पर ना होता।
उन्होंने कहा कि शिक्षा को 10459 करोड़ दी गई है परंतु सबसे बड़ा सवाल यह उठता है शिक्षा विभाग को प्रदेश की आमदनी का सबसे बड़ा हिस्सा दिए जाने के बावजूद दुखद पहलू यह है कि प्रदेश में लगातार पलायन हो रहा है। अच्छी यूनिवर्सिटी अच्छे इंस्टिट्यूट के अभाव में पर्वतीय अंचलों से लोग देहरादून आ रहे हैं और देहरादून से भी दिल्ली या मुंबई के लिए पलायन कर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य के लिहाज से यदि देखा जाए तो बजटीय प्रावधान तो अच्छा खासा है परंतु स्वास्थ्य विभाग का बदसूरत सच यह है कि स्वास्थ्य विभाग की महत्वाकांक्षी योजनाएं जैसे नेशनल हेल्थ मिशन एनएचएम हर वर्ष बजट का 60 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर पाते, वर्ष 2022-23 में भी यही देखने को मिला जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
विधायक सुमित का आरोप लगाते हुए कहा कि कुल मिलाकर इस बजट से इतना ही पता चलता है कि राज्य सरकार ने राजस्व वृद्धि की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया है। उत्तराखंड राज्य खनन और आबकारी से हो रही आमदनी पर ही निर्भर है। ना ही इस बजट में महिलाओं के लिए ना ही युवाओं के लिए न ही प्रदेश के किसान मजदूर और व्यापारियों के लिए कुछ भी हितकर है।
वार्ता में मुख्य रूप से जिलाध्यक्ष नैनीताल राहुल छिमवाल, पीसीसी सदस्य सतीश नैनवाल, हाजी सुहेल सिद्दीकी, मयंक भट्ट, जीवन सिंह कार्की, हरीश मेहता, गोविंद बगड्वाल, अवध बिहारी शर्मा, मीमांशा आर्य, विशाल भोजक आदि मौजूद रहे।
MLA Sumit raised questions on the Governor’s speech and the functioning of the Speaker, said- burning issues like unemployment and inflation are missing
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