समाचार सच, नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। 14 अगस्त को हुई कथित अनियमितताओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण, एक मतपत्र में ओवरराइटिंग और दोबारा मतदान कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर विस्तार से चर्चा की गई। मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि चुनाव के बाद सामने आई घटनाओं को लेकर पुलिस ने छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। हालांकि जांच में देरी को देखते हुए सरकार ने सभी मामलों की संयुक्त जांच कराने की अनुमति मांगी है।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि घटना के समय यशपाल आर्य, संजीव आर्य, भुवन कापड़ी, सुमित हृदेश और लाखन नेगी मौके पर मौजूद थे और उनकी भूमिका की भी जांच आवश्यक है। इस मामले में आज पांचों बीडीसी सदस्य व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश हुए।
यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई। कोर्ट को बताया गया कि चुनाव के दौरान कुछ जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण के बाद पूरे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हुए थे, जिसके चलते कई निर्वाचित सदस्यों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता बीडीसी सदस्य पूनम बिष्ट ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष पद के मतदान के दौरान एक मतपत्र में छेड़छाड़ कर क्रमांक 1 को बदलकर 2 कर दिया गया, जिससे उनका मत अमान्य हो गया। उन्होंने इस आधार पर जिलाध्यक्ष पद के लिए पुनः मतदान कराने की मांग की है।
अब इस हाई-प्रोफाइल पंचायत चुनाव विवाद पर सभी की नजरें 18 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।

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