हल्द्वानी महानगर के बुद्धपार्क में माले ने दिया धरना
धरने के दौरान असम के डिटेंशन कैम्प में 27 मौतों के जिम्मेदार – मोदी-शाह जवाब दो के नारे लगे
समाचार सच, हल्द्वानी। भाकपा (माले) द्वारा असम के डिटेंशन कैम्प में हुई 27 मौतों के विरुद्ध राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के तहत बुधवार को बुद्धपार्क हल्द्वानी में एकदिवसीय प्रतिवाद-धरना आयोजित किया गया।
धरने को संबोधित करते हुए माले के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल को मोदी सरकार ने आम जनता को आतंकित करने का औजार बना दिया है। उन्होंने कहा कि, असम में डिटेंशन केन्द्र यातना शिविर में तब्दील हो गए हैं जहां 27 नागरिकों की मौत हुई है। यहां तक कि वहां की राज्य सरकार ने भी डिटेंशन कैम्पों में 25 मौत होने को स्वीकार किया है।
उनका कहना था कि मोदी सरकार ने पहले कश्मीर मे 370 व 35ए अनुच्छेद को नष्ट कर वहां की 80 लाख की आबादी को संगीन के साए में रख खुली जेल में रहने को बाध्य किया और अब पूरे देश मे डिटेंशन कैम्प स्थापित करने की बात कर पूरे देश मे असुरक्षा व भय का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि वे भारत को हिटलर वाले जर्मनी के सांचे में ढालना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह मानवाधिकारों व लोकतंत्र पर सीधा हमला है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
भाकपा (माले) के जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि देश के गृह मंत्री अमित शाह अब देश भर में एनआरसी लागू करवाने पर आमादा हैं, जिसमें हर किसी को कागज़ात के जरिए साबित करना होगा कि 1951 में उनके पूर्वज भारत में वोटर थे। जबकि गरीब तो बीपीएल की सूची, वोटर लिस्ट, आधार से भी बाहर रह जाते हैं. वे 1951 के उनके पूर्वजों के कागज़ात कहाँ से लाएंगे? अगर न ला पाएं तो उन्हें डिटेंशन कैम्प में डाला जाएगा। मोदी- शाह की सरकार कह रही है कि अगर आप मुसलमान हैं तो आपको देश से निकाल दिया जाएगा, पर अगर आप हिन्दू या गैर मुसलमान हैं, तो हम नागरिकता कानून में संशोधन करके आपको शरणार्थी मान लेंगे। यानि देश के नागरिकों की नागरिकता पर ही खतरा है कि उन्हें या तो डिटेंशन कैम्प में मारा जाएगा, या नागरिक के बजाय शरणार्थी बना दिया जाएगा।
माले जिला सचिव ने बताया कि, असम के डिटेंशन कैम्प में मारे गए दुलाल पाल और फालू दास के परिवार ने उनके शव लेने से इंकार करते हुए कहा – अगर वे बांग्लादेशी थे, तो बांग्लादेश में उनके परिवार को तलाशिये, और शव को बांग्लादेश भेजिए. नहीं, तो मानिये कि वे भारत के नागरिक थे जिनकी हत्या सरकार द्वारा डीटेंशन कैम्प में हुईं. यह इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे मोदी सरकार ने देश के नागरिकों की शर्मनाक हालात बना कर रख दी है।
धरने को संबोधित करने वालों में वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जी.आर.टम्टा, गोविंद गौतम, सुंदर लाल बौद्ध, सामाजिक कार्यकर्ता इस्लाम हुसैन, गोविंद सिंह जीना, ललित मटियाली, मोहन लाल आर्य, डॉ. अचिंतो मंडल, लक्ष्मण लाल विश्वकर्मा, पुष्कर दुबड़िया, पूर्व सैनिक संगठन के एनडी जोशी, किशन बघरी, नैन सिंह कोरंगा,राजेंद्र शाह, नारायण सरकार,सुनील विश्वास, कोनिका सरकार, भास्कर कापड़ी, विनोद कुमार, धीरज कुमार, विमल साना, रीता इस्लाम, बच्ची सिंह कपकोटी, अशोक कुमार आदि शामिल रहे।
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