समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। श्राद्ध पक्ष में आने वाली आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के श्राद्ध का खास महत्व है। इस श्राद्ध को करने से मृत बच्चों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें नया जन्म लेने में कठिनाई नहीं होती है।
त्रयोदशी का श्राद्ध मृत बच्चों की मुक्ति के लिए होता है।
2 वर्ष से 6 वर्ष के बीच के बच्चों का श्राद्ध त्रयोदशी के दिन करें
श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्राह्मण भोज होता है
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 29 सितम्बर 2024 को दोपहर 04.47 बजे से प्रारंभ।
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 30 सितम्बर 2024 शाम को 07.06 तक समाप्त।
त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितम्बर 2024 को रखा जाएगा, जानिए मुहूर्त-
कुतुप मुहूर्त- दोपहर 11.47 से 12.35 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11.47 से 12.35 के बीच।
रोहिणी मुहूर्त- दोपहर 12.35 से 01.22 के बीच।
अपराह्न काल- दोपहर 01.23 से 03.45 के बीच।
पितृपक्ष के त्रयोदशी श्राद्ध की खास बातें-
- जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार कृष्ण या शुक्ल इन दोनों पक्षों त्रयोदशी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
- इस दिन मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है। जिन बालकों की आयु दो वर्ष या उससे अधिक होती इस दिन उनका श्रा़द्ध किया जाता है।
- यह भी कहा जाता है कि यदि बालक और कन्या की उम्र 2 वर्ष से 6 वर्ष के बीच है तो इनका श्रा़द्ध तो नहीं होता परंतु मलिन षोडशी क्रिया जाती है। मलिन षोडशी क्रिया मृत्यु से लेकर अंतिम संस्कार तक के समय में की जाती है।
- श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्राह्मण भोज का कार्य किया जाता है।
- दस वर्ष से अधिक उम्र की कन्याओं श्राद्ध पूर्ण विधि-विधान से करना चाहिए।
- किशोर हो चुके अविवाहितों का श्रा़द्ध पंचमी के दिन भी किया जा सकता है। इसीलिए इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं।
- यदि बालकों और कन्याओं की 6 छह वर्ष से अधिक है तो मृत्युपरांत उनकी श्रा़द्ध की संपूर्ण क्रिया विधि-विधान के साथ की जाती हैं।
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