समाचार सच, हल्द्वानी/देहरादून। उत्तराखण्ड में सावन मास गुरूवार से शुरू हो गया। भक्त श्रद्धालुओं ने प्रातःकाल से ही मंदिरों में पहुंचकर जलाभिषेक किया और आरधाना कर शिव भगवान से सुख शांति की कामना की। यहां महानगर हल्द्वानी में विभिन्न शिव मंदिरों में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। पूरा क्षेत्र बम-बम भोले के उद्घोष से गुंजायमान रहा। आपकों बताते चले की पर्वतीय क्षेत्रों में 16 जुलाई से सावन मास शुरू होगा।
महानगर हल्द्वानी के प्रमुख श्री आंवलेश्वर महादेव मंदिर, श्री कालूसिद्ध मंदिर, पिललेश्वर महादेव मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, श्री प्राचीन राम मंदिर, प्राचीन देवी मंदिर, शिव मंदिर, विष्णुपुरी मंदिर, लटुरिया आश्रम, गोलापार स्थित मां कालीचौड़ मंदिर, काठगोदाम स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर, रानीबाग स्थित शीतला माता मंदिर सहित आदि मंदिरों में भक्त श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक कर आराधना करेंगे। इसके लिए मंदिरों को लाइट और फूलों से सजाने और श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की जा रही है। सावन मास का विशेष महत्व है। इस पूरे महीने में श्रद्धालु शिव की आराधना और जलाभिषेक करते हैं।
मान्यता है कि इस महीने में भगवान शिव की आराधना करने से प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इस महीने में धतूरा, बेलपत्र, भांग के पत्ते, दूध, काले तिल, और गुड़ अर्पित करना शुभ माना गया है। उत्तराखंड में मैदानी क्षेत्र के लोग पूर्णिमा से सावन मनाते हैं।
आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक, कई श्रद्धालु सावन की तिथि को लेकर असमंजस में हैं। उन्होंने बताया कि सावन मास पूर्णिमा से शुरू होता है। बुधवार रात 12 बजकर छह मिनट तक आषाढ़ मास का शुक्ल पक्ष रहेगा, जबकि इसके बाद सावन मास का कृष्ण पक्ष शुरू होगा। ऐसे में रात 12 बजकर सात मिनट यानी गुरुवार से ही सावन की शुरुआत मानी जाएगी।
वहीं आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के अनुसार, मैदानी क्षेत्रों में पूर्णिमा से पूर्णिमा जबकि पर्वतीय क्षेत्र में संक्राति से संक्रति तक सावन मास मनाने की परंपरा है। सावन मास का पहला सोमवार 18 जुलाई, दूसरा 25, तीसरा एक अगस्त जबकि चौथा और अंतिम सोमवार आठ अगस्त को होगा। सावन मास की शिवरात्रि 26 जुलाई को मनाई जाएगी।
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