अर्द्धनिद्रा की बीमारी भी हो सकती है तकलीभदेह

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। बदलती जीवनशैली में सुकूनभरी नींद दुर्लभ हो गई है। यदि कोई चैन की नींद सोता है तो लोग उससे जानने की कोशिश करते हैं कि वे ऐसा क्या करते हैं कि बिना किसी व्यवधान के सो जाते हैं। अर्द्धनिद्रा की बीमारी अनिद्रा जितनी तकलीफदेह तो नहीं होती, लेकिन कुछ समय के लिए आपकी जीवनशैली जरूर अस्त-व्यस्त हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि जिस तरह से हम हमेशा तकनीकों के सहारे सारे काम करते हैं। चाहे मोबाइल हो या देर रात तक सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ऑनलाइन रहना या चेटिंग जैसी चीजें हमारी नींद को प्रभावित करती है।
क्यों उड़ती है नींद – सोने की कोशिश के दौरान तीन मुख्य चीजें होती हैं – रोशनी के कम होने के साथ शरीर में मेलेटोनिन हार्मोंन का उत्पादन होने लगता है, जिससे नींद आती है। शरीर का तापमान घटने लगता है और हमारा शरीर और मस्तिष्क रिलैक्स हो जाता है। वहीं सोने के दौरान तकनीक का इस्तेमाल इस प्रक्रिया में बाधा डालता है और नींद को प्रभावित करता है। शोध कहते हैं कि लैपटॉप या कम्प्यूटर की ब्राइट स्क्रीन नींद लाने वाले हार्मोंन मेलेटोनिन का स्तर घटा देता है। इसके अलावा सोने से पहल मोबाइल का उपयोग भी देर से नीद आने की वजह बनता है।
क्या होता है अर्द्धनिद्रा में
-हमारा मस्तिष्क शांत नहीं रहता, जिससे नींद आना मुश्किल होता है।
-नींद न आने की स्थिति में आप कोई और काम करते हैं। सुबह उठने पर थकान महसूस होती है।
-चिड़चिड़ापन रहता है और एकाग्रता की कमी हो जाती है।
-थकान की वजह से ऑफिस या घर पर भी काम नहीं कर पाते हैं।
कैसे बचें इससे-

  1. काम के दौरान थोड़े-थोड़ देर पर ब्रेक लेना चाहिए। इससे आप अपना काम ज्यादा सक्रिय होकर कर पाएंगे। ब्रेक के दौरान आप गप्पे भी मार सकते हैं और अपना पसंदीदा संगीत भी सुन सकते हैं। इससे आप तनाव से दूर रहेंगे और रात को अच्छी नींद ले पाएंगे।
  2. सोने से पहले तकनीकी चीजों से जितना दूर रहेंगे आपको उतनी ही अच्छी नींद आएगी। रात के समय ई-मेल चेक करना या सोशल नेटवर्किंग साइट पर ऑनलाइन रहने से आपका मस्तिष्क अशांत होगा और आपकी नींद खराब होगी। दिन केक खाली समय में आप इसके लिए वक्त निकाल सकते हैं।
    3- शोर-शराबे से दूर रहें और सोने का कमरा भी शांत रहना जरूरी होता है। इससे आपको सुकूनभरी नींद आएगी।

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