शारदीय नवरात्रि 2025: मां कूष्मांडा की पूजा कैसे करें क्या है उनका प्रिय भोग, मंत्र, फूल

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। इस समय शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से रोग, शोक व कष्ट दूर होते हैं और धन, यश व आय में वृद्धि होती है। मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप की उपासना से घर में सुख-समृद्धि व उन्नति आने की भी मान्यता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में वास करती हैं और मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान तेज हैं। मां के तेज व प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। जानें मां कूष्मांडा की पूजा विधि, स्वरूप, प्रिय भोग, पुष्प, शुभ रंग व मंत्र।

मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए मां को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। मां के सातों हाथ में क्रमशरू कमंडल, धनुष, बाण, कमल (पुष्प), अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा व जपमाला है। मां कूष्मांडा की सवारी शेर है।

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मां कूष्मांडा की पूजा विधि
सूर्याेदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए मां दुर्गा को धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, फल, श्रृंगार का सामान व मिठाई आदि अर्पित करें। माता रानी को भोग लगाएं। अंत में मां की आरती उतारें और मंत्रों का जाप करें।

मां कूष्मांडा का प्रिय भोग
मान्यता है कि मां कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है। इसके अलावा मां को दही व हलवे का भोग भी लगाया जा सकता है। मान्यता है कि मां को उनका प्रिय भोग लगाने से भक्त को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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मां कूष्मांडा प्रिय फूल
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा को लाल रंग के फूल प्रिय हैं, जैसे- लाल कमल, लाल गुड़हल और गेंदे के फूल। कहते हैं कि मां कूष्मांडा को लाल रंग के पुष्प अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवरात्रि के चौथे दिन का शुभ रंग
नवरात्रि के चौथे दिन का शुभ रंग हरा माना गया है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है।

मां कूष्मांडा के मंत्र – मां कूष्मांडा के मुख्य मंत्र इस प्रकार हैं-

मां कूष्मांडा का मंत्र (मंत्र)- ऊँ देवी कूष्माण्डायै नमः
मां कूष्मांडा का बीज मंत्र- ऐं हृीं क्लीं कूष्मांडायै नमः
मां कूष्मांडा का स्तुति मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

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