शारदीय नवरात्रि 2025: षष्ठी की देवी कात्यायनी माता की कथा, मंत्र और पूजा विधि

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। वर्ष 2025 में 28 सितंबर को नवरात्रि का छठा दिन पड़ रहा है। शारदीय नवरात्रि के दिनों में छठवें दिन नवदुर्गा पूजा में षष्ठी की देवी मां कात्यायिनी का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी कथा पढ़ी या सुनी जाती है। यहां जानते हैं माता कात्यायिनी की पूजा विधि, कथा, मंत्र सहित सभी कुछ।

मां कात्यायिनी की चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

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कथा
कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है।

इस देवी की उपासना करने वाले भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

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पूजा विधि

  • मां कात्यायनी की साधना का समय गोधूली काल है। अतरू इस समय धूप-दीप, गुग्गुल से मां की पूजा करना चाहिए।
  • गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
  • इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें।
  • मां के समक्ष दीपक जलाएं।
  • इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं।
  • हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।
  • मां कात्यायनी को शहद अर्पित करें।
  • अगर ये शहद चांदी के या मिट्घ्टी के पात्र में अर्पित किया जाए तो ज्यादा उत्तम होगा। इससे प्रभाव बढ़ेगा तथा आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी।
  • मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर होंगी।
  • इसके बाद मां के समक्ष उनके मंत्रों का जाप करें।
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