समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि की नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। 1 अक्टूबर को नवमी पर दुर्गा माता के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शंकर ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था।शस्त्रों में सिद्धिदात्री माता को सिद्धि और मोक्ष की देवी के रूप में दर्शाया गया है। जानें शारदीय नवरात्रि नवमी पर पूजा मुहूर्त, माता सिद्धिदात्री की पूजा-विधि, भोग, प्रिय रंग, पुष्प, मंत्र और आरती-
नवरात्रि के 9वें दिन इस मुहूर्त में करें मां सिद्धिदात्री की पूजा
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.37 से 05.25 बजे तक
अभिजित मुहूर्त दिन के 11.47 से दोपहर के 12.35 बजे तक
विजय मुहूर्त दोपहर के 02.10 से 02.58 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त सायं 06.08 से 06.32 बजे तक
अमृत काल दिन में 02.56 ये 01 अक्टूबर से 04.40 अक्टूबर 01
निशिता मुहूर्त रात्रि 11.47 पी एम से 12.35 बजे तक, अक्टूबर 01
भोग- नवमी पर माता को चना, पूड़ी, मौसमी फल, खीर, हलवा या नारियल का भोग लगाएं।
प्रिय पुष्प- शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ रहेगा। वहीं, माता सिद्धिदात्री को लाल रंग के गुड़हल, रात की रानी या गुलाब के पुष्प अर्पित करें।
मां सिद्धिदात्री मंत्र- ऊँ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
पूजा-विधि
1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
2- माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सिंदूर, पीले और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
6- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
7- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
8- फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता। तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।


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