सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण 2025: 11.50 मिनट से शुरू श्राद्ध मुहूर्त, जानें विधि

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है। सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों का स्मरण और तर्पण आवश्यक है क्योंकि हम किसी न किसी रूप में अपने पूर्वजों की अर्जित संपत्ति, नाम और संस्कारों से लाभान्वित होते हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उनका स्मरण कर उनके कल्याण की कामना करें। खासकर सर्वपितृ अमावस्या उस दिन के रूप में जानी जाती है, जब जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पूरे पितृपक्ष में न हो पाया हो, उनका श्राद्ध व तर्पण इसी दिन किया जाता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण पड़ रहा है, लेकिन भारत में ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस कारण सूतक भी लागू नहीं होगा।

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 12.16 ए एम (21 सितंबर)
अमावस्या तिथि समाप्त – 01.23 ए एम (22 सितंबर)
11.50 मिनट से शुरू श्राद्ध मुहूर्त
कुतुप मूहूर्त – 11.50 ए एम से 12.38 पी एम
अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त – 12.38 पी एम से 01.27 पी एम
अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स
अपराह्न काल – 01.27 पी एम से 03.53 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 26 मिनट्स

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कब है सर्वपितृ अमावस्या, जानें डेट, मुहूर्त व उपाय
पूजा-विधि

शुद्ध स्थान पर जमीन में रोली से स्वास्तिक बनाए। उस पर जल व रोली लगाकर पुष्प चढ़ाएं। कुछ मिठाई व दक्षिणा चढ़ाएं और नमस्कार करें। इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन करा कर तिलक करें व दक्षिणा देकर विदा करें। इस पूजा से पितृगण प्रसन्न होते हैं।

दान करें
अमावस्या के दिन सुबह स्नान कर सामर्थ्य के अनुसार गाय का दान, फल, वस्त्र, अन्न, सोना, भोजन, धन, अनाज या पानी का दान करें। इस दिन पितरों का श्राद्ध, ब्राह्मण-भोजन और भगवान के जप-ध्यान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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तर्पण विधि
कुशा की जूडी, जल के लोटे के साथ ले जाकर पीपल के नीचे कुशा की जूडी को पितृ मानकर जल से तर्पण करें। तर्पण के बाद घर आकर प्रति दिन ही भोजन के समय एक रोटी गाय को, एक रोटी कुत्ते को और एक रोटी कौओं को जरूर खिलाएं। अपनी छत पर किसी चौडे़ पात्र में जल भरकर पक्षियों के लिए जरूरी रखें और अनाज के दाने भी छत पर डालें। इस दिन ब्राह्मण भोजन, श्राद्ध, तर्पण तथा अमावस्या पूजा, जैसे अपने घर करते आ रहे हैं, वैसे ही यथा स्थिति करें।

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