-नैनीताल में प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण पर मंथन
-केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत व सीएम रावत किया प्रतिभाग
समाचार सच, नैनीताल। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन योजना के अन्तर्गत आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में गुरुवार को ’’सहभागी स्प्रिंग शेड प्रबन्धन के माध्यम से पहाड़ों में पीने योग्य पानी की व्यवस्था’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दीप जलाकर किया। कार्यशाला में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य, अपर सचिव केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव भरत लाल, डीडीडब्ल्यूएस निदेशक रूपा मिश्रा, पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ.जेएस रावत मौजूद थे।


केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने जलवायु परिवर्तन एवं तापमान वृद्धि के दुष्परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन एवं तापमान वृद्धि पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कस्टोडियन बनकर करना होगा और आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित करना होगा। वर्तमान समय पानी की मांग लगातार बढ़ रही है परन्तु जल संसाधनो में कमी आ रही है। इसलिए सभी का उद्देश्य होना चाहिए कि प्राकृतिक जल स्त्रोंतों के उपयोग के साथ ही उनके रिचार्च की रणनीति बनाकर कार्य करें ताकि जल स्त्रोंतों में किसी भी प्रकार की कमी न हो। नया भारत बिना जल प्रबंधन के नहीं हो सकता है। वर्षा से पानी पूर्व की तरह ही प्राप्त हो रहा है परंतु प्रबंधन में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि नदियॉ, तालाब, झरने, सूखने लगे हैं और ग्राउण्ड वाटर लेवल भी गिर रहा है। इनका संरक्षण, संवर्धन एवं पुर्नजीवित करने के लिए कार्यों में गति बढ़ाकर कम समय में अधिक कार्य करने होंगे। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य जल जीवन मिशन योजना के अन्तर्गत पर्वतीय क्षेत्रों में स्प्रिंग शेड मैनेजमेंट के प्रोटोकॉल को साझा करना, व्यवस्थित कार्य प्रणाली पर चर्चा एवं निष्कर्ष तथा अनुभवों के आधार पर स्प्रिंग शेड प्रबन्धन गतिविधियों के लिए जनता को जागरूक करना व हर घर में नल और हर नल में जल की संकल्पना को साकार करना है।
शेखावत ने कहा कि पिछले 70 सालों में जितने घरों तक पेयजल की आपूर्ति की गयी, उसके सापेक्ष पॉच वर्षाे (2019 से 2024 तक) के लिए लक्ष्य पॉच गुना बढ़ाकर देश के 15 करोड़ ग्रामीण आवासों तक शुद्ध पेयजल पहुॅचाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को राज्यों और केन्द्र सरकार द्वारा आपसी तालमेल से पूरा करना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2024 तक हर घर में नल और हर नल में जल का लक्ष्य रखा है। 3.50 लाख करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान है।
उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि पिछले 50 हजार वर्षों से मौजूद नैनीताल की झील को न जाने कितनी पीढ़ियों ने संरक्षित किया होगा परंतु पिछले 50 वर्षों में हमने इसे प्रदूषित किया है। कुमाऊं के आयुक्त राजीव रौतेला के कोसी नदी के संरक्षण के प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पहाड़ का पानी व जवानी पहाड़ के काम नहीं आती, इस धारणा को बदलने की जरूरत है। देश मे 260 करोड़ हाथ हैं, वे जुट जाएं तो जल संरक्षण कर देश को जल समृद्ध बनाएं व माताओं-बहनों के जीवन का कष्ट घटाएं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जल जीवन मिशन के लक्ष्य और उद्देश्य तथा जन-जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव बढ़े हैं परन्तु 4.5 साल में यह लक्ष्य पूरा करने के प्रति हम पूरी तरह आशान्वित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने आते ही राज्य के 20 लाख शौचालयों के सिस्टन में बिना बजट के एक लीटर की बोतलें डालकर प्रतिदिन एक करोड़ लीटर पानी बचाने का अभियान चलाया था। हरेला पर्व पर अल्मोड़ा में कोसी नदी के तट पर 1.67 लाख, देहरादून में रिस्पना नदी क्षेत्र में 2.5 लाख व हरेला पर 2.24 लाख पौधे लगाए गए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने घोषणा की कि इस वर्ष हरेला पर 16 जुलाई को अवकाश रहेगा और इस दिन राज्य के लोग पौधे लगाएं।
निदेशक एटीआई एवं सचिव माननीय मुख्यमंत्री राजीव रौतेला ने जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला अकादमी का चयन करने पर आभार जताया। कार्यशाला में डिप्टी एडवाईजर जल शक्ति मंत्रालय रंजीता एमएच, डीडीडब्ल्यूएस एनजेजेएम डॉ.डीएस धपोला, अपर जिलाधिकारी एसएस जंगपांगी, संयुक्त निदेशक दीपक पालीवाल, अनवनीत पाण्डे, मंजू पाण्डे, मीनू पाठक, पूनम पाठक, रेखा कोहली, प्रभारी केआरसी गीता काण्डपाल सहित देश के 22 प्रदेशों के जल प्रबंधन से जुड़े प्रदेशों के मुखिया, मुख्य अभियंता, हाइड्रोलॉजिस्ट, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता स्तर के 110 अधिकारी प्रशिक्षु मौजूद थे।


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