समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह स्वरूप तपस्या, संयम और ज्ञान का प्रतीक है। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक को आत्मसंयम, धैर्य और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनके एक हाथ में जप माला तथा दूसरे हाथ में कमंडल है। वे ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की प्रतीक मानी जाती हैं।
ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व
- देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, सदाचार और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- विद्यार्थियों के लिए यह पूजा विशेष फलदायी होती है, क्योंकि यह विद्या और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं।
- जो लोग मानसिक शांति और संयम चाहते हैं, उनके लिए भी इस पूजा का विशेष महत्व है।
- देवी की कृपा से व्यक्ति जीवन में आने वाली कठिनाइयों को धैर्य और संयम से पार कर सकता है।
ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
स्नान और संकल्प
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
कलश स्थापना
देवताओं का आह्वान कर विधि-विधान से कलश स्थापित करें।
मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान और मंत्र –
देवी की प्रतिमा या चित्र पर जल छिड़कें और पुष्प अर्पित करें।
फिर इस मंत्र का जाप करें
ऊँ ऐं हृीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः’
पूजन सामग्री अर्पण
- फूल, अक्षत, कुमकुम, चंदन, और दीप जलाएं।
- माता को शहद, दूध, दही, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं।
आरती और प्रसाद वितरण
माता की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
विशेष उपाय
- इस दिन मां को सफेद फूल और मिश्री का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए देवी ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें।
- इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा से जीवन में धैर्य, संयम और सफलता प्राप्त होती है। उनकी कृपा से साधक को कठिन परिस्थितियों में भी आत्मबल और साहस मिलता है।


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