क्या है फेमस यूट्यूबर मोहन दा का असली नाम???
-यूट्यूब पर हैं 80,000 सब्सक्राइबर
-फनी कॉलिंग वाली बनाते हैं वीडियो
-जहाँ भी जाते हैं लग जाती है फैंस की भीड़
समाचार सच, हल्द्वानी। अल्मोड़ा से 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे एक गांव रैंगल का एक लड़का कैसे अपने परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक करने की चाह लिए नौकरी करने चंडीगढ़ चला जाता है। लेकिन वहाँ रहते हुए भी वो रोज अपने पहाड़ को बहुत याद करता है। वो नौकरी तो कर रहा होता है लेकिन कहीं न कहीं उसका कविताएं लिखने और सुनाने का शौक पीछे छूटता जाता है। फिर एक दिन कुछ ऐसा होता है कि उसे अपना शौक पूरा करने के लिए एक माध्यम मिल जाता है। और गाँव का एक साधारण सा लड़का बन जाता है एक फेमस यूट्यूबर मोहन दा।
संपादक अजय चौहान और मोटिवेशनल स्पीकर कुलदीप सिंह को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के कुछ मुख्य अंश:
यूट्यूब चैनल शुरू करने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?
मैं अपने गांव में मुक्तेश्वर का एक रेडियो स्टेशन कुमाऊँ वाणी सुना करता था। मैं भी वहाँ कविताएं लिखकर सुनाया करता था। वहां से मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला। मैंने इंटर पास किया मैं चंडीगढ़ गया और नौकरी करने लगा। वहां कोई ऐसा माध्यम नहीं था कि मैं लोगों तक अपनी कविताएं पहुंचा पाऊं। मेरे एक दोस्त हरीश कुमार ने मुझे कहा कि मैं अपनी कविताएं यूट्यूब पर डाल दूं। 2017 में एक दिन मैंने एक कविता रिकॉर्ड करके यूट्यूब पर डाल दी। फिर यह सिलसिला चलता रहा और धीरे-धीरे शौक भी बढ़ता रहा।
शुरुवात में आपको लोगों से कैसी प्रतिक्रिया मिली?
मुझे लोगों ने प्रोत्साहित भी किया हालांकि कुछ लोगों ने मुझे टोका भी – कि बस अब यही काम रह गया है? तू क्या कर रहा है ये पागलों की तरह। पर मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा और फिर वही लोग बाद में बोलने लगे कि ठीक है।
फिर मुझे मेरी एक क्लास फेलो नेहा बिष्ट (ग्राम डोबा) का मुझे मैसेज आया कि अमित तुम अच्छा कर रहे हो। मेरे लायक कोई सहायता होगी तो जरूर बताना।
मुझे एकदम से विचार आया की यूट्यूब पर कस्टमर केयर कॉलिंग हिंदी, पंजाबी, बंगाली और बहुत सी भाषाओं में तो उपलब्ध थी लेकिन कुमाऊंनी में नहीं! तो हमने यही चीज पहाड़ी में की। बाद में मेरी क्लास फेलो अनीता बिष्ट भी हमसे जुड़ गई। तब से हम सब फनी कॉलिंग वाली वीडियो बनाते रहते हैं।
दीपक पानू से आपकी मुलाकात कैसे हुई?
चंडीगढ़ से ही लाइव अंताक्षरी के प्रोग्राम में एक दिन दीपक पानू जी ने हमें मोदी जी की आवाज में फोन किया तो मैं एकदम चौक गया। उन्होंने कहा कि अमित भाई साथ में मिलकर कुछ बनाते हैं फिर वहां से मोहन दा और मोदी जी वाले वीडियो बनाने शुरू किए। पहली वीडियो ही वायरल हो गई। उसी के बाद अमित भट्ट का नाम बदलकर मोहन दा हो गया। मुझे अमित के नाम से बहुत कम लोग जानते हैं। मेरे फैंस मुझे मोहन दा के नाम से जानते हैं।
आपका कौन सा वीडियो आपके इस सफर में टर्निंग प्वाइंट लाया?
कस्टमर केयर वाली फनी कॉलिंग वीडियो मेरी वायरल हुई थी। 10 से 15000 व्यूज तक पहुंच गई थी। आज लोगों की कृपा से मेरे 80,000 सब्सक्राइबर पूरे होने वाले हैं।
आपने पढ़ाई लिखाई कहां से की?
मैंने जी ऑई सी रैंगल से इंटर पास किया। फिर वहां से मैं नौकरी के लिए चंडीगढ़ निकल गया क्योंकि मेरी पारिवारिक स्थिति थोड़ी सही नहीं थी। मैंने वहां एक प्राइवेट जॉब की। उसी से जो समय मिलता था दिन में लंच टाइम में तभी मैं अपने वीडियो बनाता था।
आपके माता पिता के बारे में कुछ बताइए?
मेरे माता-पिता खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं। मेरी एक बहन है बीना भट्ट जो अभी बी ए कर रही है। पिताजी का नाम श्री पूरन चंद्र भट्ट और माता जी का नाम श्रीमती गंगा देवी भट्ट है।
आपने कविता लिखना कब से शुरू किया?
मैंने 11 वीं कक्षा से कविता लिखना शुरू किया। कोई मुझे एक पॉकेट वाला छोटा सा रेडियो एफएम दे गया था। उसमें एक दिन कुमाऊँवाणी में कुमाऊंनी में कुछ बजा। मेरी एक कविता पहाड़ी चेली को मेरे हिंदी के अध्यापक श्री नवीन चंद्र जोशी जी ने खूब सराहा। मेरे अंग्रेजी के टीचर ने भी मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। यह कविता एक पत्रिका में भी प्रकाशित हुई।
आपके माता-पिता को आपके यूट्यूब वीडियोस के बारे में कब पता चला और उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
घर में कोई इस तरह का फोन नहीं था जिसमें माता-पिता मेरा वीडियो देख सके। अगल-बगल के गांव वालों ने दिखाया कि आपका बेटा तो कॉमेडी वीडियो बना रहा है। तब मेरे माता-पिता भी और जगह बताने लगे कि मेरा बेटा ऐसा कर रहा है। माता-पिता की ओर से मुझे काफी ज्यादा सपोर्ट मिला।
यूट्यूब से आप प्रतिमाह कितना कमा लेते हैं?
मैं दो-तीन महीने में लगभग $100 कमा लेता हूं। मैं यह काम पार्ट-टाइम करता हूं और बाकी समय मैं जॉब करता हूं। और अब मैं हल्द्वानी में ही जॉब करने की सोच रहा हूं।
यूथ के लिए आपका क्या संदेश है?
मैं यह कहना चाहूंगा कि आजकल के माता-पिता यह सोचते हैं कि हमारे बच्चे बाहर ही जाएं। घर में कुछ ना करें। घर में इज्जत नहीं है। चाहे वह बाहर जाकर कुछ भी कर रहा है। मेरी मम्मी ने भी मुझे यही कहा। मैंने अपनी माता जी को समझाया कि घर में भी बहुत कुछ हो सकता है। घर से ही इंसान जितना बाहर कमा रहा है उससे ज्यादा कमा सकता है। आजकल हर जगह दूसरी भाषाओं के गाने ज्यादा चलते हैं। पहाड़ के गाने कम चलते हैं। कुमाऊँनी संस्कृति को बचाने के लिए कुछ करना चाहिए। लोग फिल्मी सितारों को तो आसानी से पहचान लेते हैं लेकिन शेर दा अनपढ़, गिर्दा, कबूतरी देवी को मुश्किल से ही कोई पहचान पाता है।
आप किन-किन लोगों के फैन हैं?
शेर दा अनपढ़, गिर्दा, प्रह्लाद सिंह मेहरा जी, नैन नाथ रावल जी, कबूतरी देवी जी, और पप्पू दा का। मंगल दा जीवन दा से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है।
हमें अपनी संस्कृति को बचाने के लिए क्या करना चाहिए?
हमें सबसे पहले अपने घर से शुरुआत करनी चाहिए। आप चाहे दिल्ली में रह रहे हो। अपने बच्चों को वहीं पढ़ा रहे हो। अपने बच्चों से आप आपस में कुमाऊँनी में बात कर सकते हैं। सारी भाषाएं बोलो, अपने बच्चों को सिखाओ लेकिन पहाड़ी भी जरूर बोलो। तभी वह हमारी बोली भाषा सीख पाएंगे और आगे आने वाली पीढ़ी को भी सिखा पाएंगे।
हिंदी भी सीखो यारों, इंग्लिश भी सीखो, पर पहाड़ी तो ना भूलो। दिल्ली जाओ तुम, चाहे आगरा जाओ, पर वो गौ बाखली तो ना भूलो। जिस भूमि में जन्म लिया, उस भूमि की माटी को ना भूलो, सुरीले गीत गाते थे गाँववाले, उस सुंदर घाटी को न भूलो।
आपकी टीम में कौन-कौन लोग हैं?
नेहा बिष्ट, अनीता बिष्ट, करण कांडपाल, पूजा कांडपाल, दीपक पानू।
किसी फैन से ऐसी मुलाकात जिसने आपके दिल को छू लिया?
मैं अल्मोड़ा गया था करण कांडपाल के साथ। मैं बस से शाम को लौट रहा था कि तभी एक कॉलेज में पढ़ने वाला लड़का पीछे से आता है और मेरा चैनल अपने मोबाइल में खोल कर दिखाता है और कहता है कि ये आपका ही चैनल है ना? और उसने मेरा हाथ पकड़ कर बोला कि मेरे तो अहोभाग्य कि आप से मुलाकात हो गयी। मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूं। राती घाट में काफी मजदूरों ने एकदम से मुझे पहचान लिया और हाथ मिलाने वालों की भीड़ लग गई। तब दिल में इतनी खुशी हुई कि वास्तव में हम जो कर रहे हैं वह लोगों को पसंद आ रहा है।
एक खास फैन…
दिल्ली से एक छोटे से बच्चे का फोन आया था। उसने पहले दिन मुझसे हिंदी में बात करी तो मैंने उसे एक बात बोली कि जब आप अगली बार कॉल करेंगे तो मुझसे कुमाऊंनी में बात करेंगे। अगली बार जब उस बच्चे का फोन आया तो उस बच्चे ने बोला मोहन दा! पैलाग! कस छा अपू! मुझे बहुत खुशी हुई कि उन पर मेरी बात का असर पड़ा।
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